IV Sem B.A/B.Sc

 पाठ्य पुस्तक

1.सदा बहार कहानियाँ 
   1.ईदगाह -प्रेमचंद 

   2.जज का फैसला -विष्णुप्रभाकर 

   3.अपराध -उदयप्रकाश 

   4.पिता -ज्ञान रंजन 

   5.पार्टीशन -स्ववं प्रकाश 
   6.एम्.डॉट कोम-एस.आर हरनोट  


2.सपनों की होम डेलिवरी -ममता कालिया 

09.11.20















कहानी के तत्व 
कहानी के तत्वों के आधार पर कहानी का मूल्यांकन करने के लिए निम्न लिखित बिन्दुओं पर ध्यान देना है |

1.कथावस्तु 
2.पात्र और चरित्र चित्रण 
3.संवाद 
4.देश-काल ,वातावरण 
5.भाषा -शैली 
6.उद्देश्य 
                           1.ईदगाह -प्रेमचंद 

 

   






    मुंशी प्रेमचंद  का जन्म लमही गाँव में हुआ था। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था।प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं|उपन्यास के क्षेत्र में दिए योगदान के आधार पर विख्यात बंगला उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने  उनको उपन्यास सम्राट पुकारा था |भारतीय गाँवों का यथार्थ चित्रण उनकी रचनाओं में दर्शनीय है |300 से ज्यादा कहानियाँ,15 उपन्यास,3 नाटक जैसे साहित्य के विविध विधाओं में प्रेमचन्द का योगदान हमे मिलेंगे |हिंदी और उर्दू भाषाओँ में समान रूप से अधिकार उनको था |इसलिए दोनों भाषाओँ के शब्द उनकी रचनाओं में हमे मिलेंगे  |उनके बेटे अमृत रा ने 'कलम के सिपाहि 'नाम से पितजी की जीवनी लिखि है |  मर्यादा, माधुरी, हंस, जागरण  जैसे साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादक के रूप में भी प्रेमचन्द ने साहित्य की सेवा की है
कथावस्तु 
     रमज़ान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आई है|गाँव के  के सिवा बाकी सब त्यौहार मनाने के लिए तैयार कर रहे थे|आमिना अपने पोता हामिद के साथ गाँव में जी रही है |उनकी बेटा और बहु का देहांत हो गयी थी  |इसलिए कठिनाई से जीवन आगे निकल रही थी| हामिद अपने दोस्तों के साथ ईदगाह जाने के लिए उत्सुक हो कर बैठ थे | आमिना उसको तीन पैसे दे कर  गँव वालों के साथ भेजती है|शहर के ईदगाह सम्पन्न होने के बाद वहाँ के मेले से लोग कुछ न कुछ खरीदते है |हामिद अपना पैसा बचाकर  अंत में एक चिमटा खरीदता है|क्यंकि वह देख रहा था रोटी बनाते वक्त दादी माँ की हाथ हमेशा जल रही थी | बाकी बच्चे खिलौने और मिठाईयां खरीद कर वापस आये |लेकिन हामिद तो चिमटा लेकर आया|यह देख कर आमिना को गुस्सा आती है |लेकिन फिर उनकी आँखों से आँसू बहती है |
पात्र 
   'ईदगाह'कहानी के मुख्य पात्र है पांच साल का बालक हामिद और उसकी दादी आमिना |भारतीय गाँवों के प्रतिनिधित्व करनेवाले अन्य पात्र भी इस कहानी में है |समाज के भिन्न भिन्न तरह के चेहरा ये पात्र हमारे सामने प्रस्तुत कर रहे है |
संवाद 
    संवाद कथावस्तु को आगे ले चलनेवाला तत्व है |प्रेमचन्द पात्रानुकूल और कथ्यानुकूल संवाद बनाने में माहिर थे|छोटे संवादों के जरिये भारतीय गाँवों का जीता जागता चित्रण प्रेमचन्द इस खानी में किया है |
देश-काल 
   कहानी कहाँ घटित हो रहा है? इसका सही सूचना मिलने पर पाठकों को कहानी अपनाने में दिक्कत नहीं होंगे| प्रेमचन्द भारतीय गाँवों के कहानीकार थे | भारतीय गाँव का चित्र इस कहानी में खींचा गया है |
भाषा -शैली 
   सरलता,सहजता,व्यावहारिकता,प्रवाहपूर्णता आदि  प्रेमचंद की भाषा कई विशेषता है|प्रेमचन्द उर्दू से हिंदी भाषा में आने के कारण उर्दू भाषा और शैली का प्रभाव देख पायेंगे|जनमानस को स्पर्श करनेवाले भाषा -शैली इस कहानी में देख पायेंगे |
उद्देश्य 
   'ईदगाह' बाल मनोविज्ञान को गहनता से दिखानेवाली कहानी है| पलो के लिए बालक हामिद का बूढी आमिना बन जाना ,बालक किस तरह अपने परिवेश को जानता है.किस तरह अपने साथ औरों को जुडाते है आदि का सुंदर वर्णन करके प्रेमचन्द ने यह साबित किया है की , आप बालमनोविज्ञान में माहिर है |समकालीन समाज में  प्रेम और त्याग की भावना  कम हो रहे है |इनकी  महत्ता क्या है ?हामिद के द्वरा प्रेमचन्द हमें बता रहे है |भारत की आत्मा गाँवों में रहता है | वही गाँव का असल समस्याएँ क्या क्या है - यह प्रेमचन्द जी इस कहानी में दिखाया है | गाँव और शहर का अंतर,गाँव से शहर की और बहाव होने का कारण,किसानों की समस्याएँ,बचपन से ही सामजिक जीवी होने की शिक्षा देने की आवश्यकता ,सरकारी अफसरों के रिश्वत,  लेने की प्रथा,आदि के बारे में भी प्रेमचन्द जी बता रहा है | 
    इस विश्लेष्ण के बाद हम कह पायेंगे कि 'ईदगाह 'एक सफल कहानी है |
पूरी  कहानी  पढने के लिए  👉  ईदगाह कहानी
                                         अपराध  -उदय प्रकाश 
चर्चित कवि, कथाकार, पत्रकार और फिल्मकार 

कविता संग्रह : सुनो कारीगर,अबूतर कबूतर,रात में हारमोनियम,एक भाषा हुआ करती है,कवि ने कहा

कथा साहित्य:तिरिछ,पॉलगोमरा का स्कूटर,अरेबा परेबा,पीली छतरीवाली लड़की  आदि 

    कथावस्तू  
             अपराधकहानी के दो मुख्य कथापात्रों में से एक है बड़ा भाई।  पोलियो हो जाने से बड़ा भाई अपाहिज था। अपाहिज होने पर भी, खेल-खूदों तैरने  में , हाथ के पंजों की लड़ाई में वह बहुत निपुण था।             एक दिन भाई मुझे भूलकर खड़ब्बल खेल रहा था। छोटा होने के कारण अपनी पाली में उस दिन उन्होंने लेखक को  शामिल नहीं किया था। जीतने की खुशी में भाई ने लेखक की  और देखा तक नहीं।लेखक  अकेले खड़ब्बल को पत्थर पर फेंककर खेलते वक्त अचानक खडबल   उसके  माथे पर लगा। भाई मेरे पास दौडकर आये। माँ से  लेखक ने झूठ कह दिया कि भाई ने मारा है। पिताजी ने उन्हें खूब पीटा। यह सज़ा मिलते समय भाई ने लेखक क  करुणा भरी दृष्टि से देखा।    लेखक बचपन की  उस गलती केलिए क्षमा माँगना चाहता है । लेकिन  माँ-बाप मर गये। भाई को ईद घटना याद ही नही  |
पात्र 
     लेखक अपनी  मन की बात पात्रों के द्वारा प्रस्तुत करता है | अपराध’ कहानी में मुख्यतः  दो पात्र है -लेखक और उसके भाई |इनके अलावा लेखक के माँ -बाप आदि भी इस कहानी में है |
संवाद 
  कहानी की आत्मा संवाद है |लेखक ने इस कहानी में छोटे संवादों के ज़रिये पात्रो के मनोभाव पाठकों के सामने  प्रस्तुत किया  है |
देश-काल 
  कहानी सही ढंग से समझने के लिए ,कथावस्तु कहाँ घटित हो रहा है,इसका जानकारी होना परम आवश्यक है |इस कहानी भारत के गाँव घटित हो रहा है| गाँव का सुंदर स्वरुप लेखक ने प्रस्तुत किया है |  
भाषा -शैली 
 संवेदनशील भाषा उदयप्रकाश जी कहानियों की विशेषता है |जीवन के अनुभवों का भाषिक शैल्पिक पुनस्रुजन इस कहानी में देख पायेंगे | 
उद्देश्य 
   बचपन के समय सब लोग कोई न कोई शरारत करते रहते है|उनमें से कुछ कभी कभी हमें सताते रहंगे | बिना अपराध के भाई को सजा दिलावानेवाला छोटे भाई की मानसिक तनाव को लेखक ने इस कहानी में चित्रित किया है | बच्चों के खेल, उस खेल से उनको मिल रहे सामजिक मूल्य ,पल प्रति पल बदल रहे बाल मानस आदि का सुंदर चित्रण लेखक ने  किया है|सम्बन्धों के मर्म को पहचाननेवाला लेखक इस कहानी  में पारिवारिक सम्बन्धों के द्रढ़ता के बारे में बताया है |माँपिताभाईबहन रुपी ईंटों से बनाये जाने वाले परिवार रुपी घर की महत्ता पाठकों के दिलो को छुएगा इसमें दो राय नहीं होता |रिश्ता और परिवार समकालीन समाज से धीरे धीरे गायब हो रहा है |ऐसे मौके में इस तरह ही कहानियाँ समय की माँग है |
     इस विश्लेष्ण के बाद हम कह पायेंगे कि 'अपराध'एक सफल कहानी है |

 वीडियो   क्लास -अपराध


जज का फैसला-विष्णु  प्रभाकर 
                         

उपन्यास - 'ढलती रात', 'स्वप्नमयी', 'अर्द्धनारीश्वर', 'धरती अब भी घूम रही है', 'पाप का घड़ा', 'होरी', 'कोई तो', 'निशिकान्त', 'तट के बंधन', 'स्वराज्य की कहानी'।
कहानी संग्रह - 'संघर्ष के बाद',  'मेरा वतन', 'खिलौने', 'आदि और अन्त', 'एक आसमान के नीचे', 'अधूरी कहानी', 'कौन जीता कौन हारा', 'तपोवन की कहानियाँ', 'पाप का घड़ा', 'मोती किसके'।
बाल कथा संग्रह - 'क्षमादान', 'गजनन्दन लाल के कारनामे', 'घमंड का फल', 'दो मित्र', 'सुनो कहानी', 'हीरे की पहचान'।
नाटक - 'सत्ता के आर-पार', 'हत्या के बाद', 'नवप्रभात', 'डॉक्टर', 'प्रकाश और परछाइयाँ', 'बारह एकांकी', अब और नही, टूट्ते परिवेश, गान्धार की भिक्षुणी और 'अशोक'
कविता संग्रह - ‘चलता चला जाऊंगा’ (एकमात्र कविता संग्रह)
आत्मकथा - 'क्षमादान' और 'पंखहीन' नाम से उनकी आत्मकथा 3 भागों में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी है। 'और पंछी उड़ गया', 'मुक्त गगन में'।
जीवनी -  'अमर शहीद भगत सिंह',आवारा मसीहा ।
यात्रा वृत्तांत - 'ज्योतिपुन्ज हिमालय', 'जमुना गंगा के नैहर में', 'हँसते निर्झर दहकती भट्ठी'।
संस्मरण - 'हमसफर मिलते रहे'।
 पुरस्कार 

अर्धनारीश्वर उपन्यास के लिये ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त 
१.पद्मभूषण 
२.'पाब्लो नेरूदा सम्मान'
सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
४.मूर्तिदेवी पुरस्कार 
कथावस्तु  
     सेवानिवृत जज अपने कोर्ट में आये एक केस के बारे में बता रहा है |अपूर्व सुन्दरी विमला और उसकी पती रेलगाड़ी में सफर कर रही थी|दुर्भाग्यवश  रेलगाड़ी पटरी से निकलता है और कई लोग घायल हो जाते है |विमला और पती को अस्पताल में पहुँचा देते है |बाद में पती को मालूम हो जाता है  अप्सरा जैसी सुन्दरी पत्नी अब कुरूपा बन गयी है |वह पत्नी को मार डालती है और वह केस जज के सामने आते है  | रेलगाड़ी के सभी यात्री सोचते है जज पती  को मुफ्त किया होगा |लेकिन,जज पती को मौत की सजा देते है |
पात्र 
     अपूर्व सुंदरी विमला,उसकी पती ,सेवा निवृत जज,इंजिनीयर जैसे रेल गाडी में सफर कर रहे कई लोग इस कहानी के पात्र है | वह किसी न किसी वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में आ रहा है | 
संवाद 
     कहानी को रोचक बनानेवाला तत्व है -संवाद | इस कहानी में संवाद के द्वार ही कथावस्तु पाठकों के सामने प्रस्तुत हो रहे है | पात्रानुकूल संवाद इस कहानी की विशेषता है |
 भाषा  और शैली 
        विष्णु प्रभाकर जी की भाषा सरल व सहज खड़ी बोली है। भाषा गतिशील तथा प्रभावशाली है। इनकी रचनाओं में हिंदी के अतिरिक्त उर्दू और अंग्रेजी के शब्द भी मिलते हैं |
देश- काल 
        कहानी कहाँ घटित हो रहा रहा ,इसकी सूचना मिलने पर पाठकों को उस कहानी और अच्छी ढंग से समझ पायेंगे इस कहानी भारत के रेलगाड़ी में घटित हो रहा है | रेलगाड़ी में सफर करने की अनुभूति लेखक प्रदान कर रहा है 
उद्देश्य 
    मानवीय रिश्तों की  ऊष्मलता का चित्रण करना लेखक का मुख्य उद्देश्य रहा है | विविधता  में एकता भारत की विशेषता है |इस एकता को कायम रखने में बहुत बड़ा भूमिका रेलवे निभा रहा है | इस तत्व को रेलगाड़ी के माध्य से लेखक ने दिखाया है |मानव जीवन की नश्वरता ,पल पल बदलनेवाले  नियति ,जजों को हो रहे मानसिक तनाव आदि के बारे में सोचने की प्रेरणा इस कहानी हमें देंगे |
इस विश्लेष्ण के बाद हम कह पायेंगे कि 'जज का फैसला 'एक सफल कहानी है |

👉 जज का फैसला  अपूर्व सुन्दरी विमला की कहानी 

👉 रेल दुर्घटना में विमला को चोट लगती है 

👉 विमला अपाहिज बन जाती है 

👉 पती द्वारा विमला की हत्या 

👉 जज पती को भी मृत्यु दंड देता है

   चित्र (विकी मिडिया )

                
वीडियो  क्लास -जज का फैसला
                                                      पिता - ज्ञान रंजन 



साठोत्तरी पीढ़ी के  कहानीकार
साठोत्तरी पीढ़ी के 'चार यार' में प्रमुख (ज्ञानरंजन, दूधनाथ सिंहकाशीनाथ सिंह एवं रवीन्द्र कालिया)
‘पिता’ ज्ञानरंजन की महत्वपूर्ण कहानियों में से एक है।
एक पिता की मनःस्थिति को पु्त्र की नज़र से प्रस्तुतीकरण 
परिवार को पास में रहने के बावजूद भी साथ में न रह पानेवालों की कहानी 
प्रतीक के रूप में गर्मी का चित्रीकरण  
'पहल'  पत्रिका  का सम्पादक 
सभी पात्र अपना-अपना जीवन चला रहे हैं  यह प्रतीति पाठकों को देते है 




मुख्य  चर्चित विषय 
* पारिवारिक सम्बन्धों में आ रहे बदलाव 

*पुराने और नये पीढ़ी के सोच में आये अंतर 

*पुरानी पीढ़ी और नयी पीढ़ी में आए मानसिकता के बदलाव

* संयुक्त परिवार के विघटन

कथावस्तु 
       भरे पूरे परिवार में अपने इच्छा के अनुसार जी रहे पिता की कहानी लेखक हमें बताबता रहा है | अपने बच्चों की सुख सुविधा के लिए के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार है ,कहानी के पिता  | मगर उस सुख सुविधा स्वयं अपनाने के लिए वह तैयार नहीं है | यहाँ तक की धुप के समय पंखा चलाने और बच्चों के लिए खरीदे बिस्कुट खाने तक वह तैयार नहीं है |रात के समय आम के पेड़ से गिरनेवाले आम खोजनेवाला,कम किराए में आनेवाले गाडी की इंतज़ार करनेवाला पिता अपने आप को सब सुख सुविधाओं से दूर रख कर परिवार चला रहा है | अपने बच्चे का देखभाल करने का हक अपने आप को है |-यह राय अपने प्रत्येक कार्य में पिता व्यक्त कर रहे है | अपने साथ पिता जुड़ नहीं पाने के कारण बच्चे तो दुखी है ,मगर पिता अपने इच्छा के अनुसार ही जीवन बिता रहा है 

पात्र 
  'पिता' कहानी का मुख्य पात्र 'बुलुंद दरवाज़े' के समान खड़े हो रहे पिता है |अपने परिवार के लिए अपनी ख़ुशी भूलनेवाले बुजुर्ग के प्रतिनिधीके रूप में पिता हमारे सामने आते है | पिता के अलावा उसके बच्चे घर और बाहर जिव जंतु और पर्यावरण  इस कहानी के पात्र है |पिता समाज के पुराने पीढ़ी के प्रतिनिधि के रूप में और पुत्र नए पीढ़ी के प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत किया गया है | 
संवाद 
  कहानी को रोचक और गतिशील बनानेवाला तत्व है -संवाद|इसलिए प्रत्येक कहानीकार संवाद  पर ज्यादा ध्यान देता है |इस कहानी में पिता और अन्य  पात्रो के मानसिकता संवादों के माध्यम से ही हमे पता चलेंगे |
देश-काल 
  कहानी की कथावस्तु कब और घटित हो रहा है ,इसकी जानकारी कहानी की रोचकता बढाती है |इस कहानी समकालीन समाज के किसी भी घर में घटित हो  सकते है |
 भाषा -शैली 
  सरल एवं बोधगम्य भाषा -शैली इस कहानी की विशेषता है |
उद्देश्य 
    विख्यात हिंदी लेखक गोपालराय की राय में -“ ‘पिता’ कहानी पीढ़ियों की सोच और जीने के तौर तरीकों के खाई को व्यक्त करने वाली कहानी है।”पीढ़ियों की सोच और जीने के तौर तरीकों के खाई के कारण हो रहे समस्याओं का जिक्र कहानीकार ने इस कहानी में किया है |हिंद के विख्यात आलोचक बच्चन सिंह जी ने कहा है -इस कहानी का मुख्य उद्देश्य समाज में बढ़ रहे 'अकेलापन' को दिखाना है |पीढियां बदलते वक्त जीने के ढंग बदलते रहते है |घर और आसपास के सामान का इस्तमाल करने में मजा लेनेवाला पुराना पीढ़ी  और सब कुछ मार्कट से खरीदने की इच्छा प्रकट करनेवाला नई पीढ़ी -इन दोनों के बीच समस्याएँ पैदा करना तो आम बात  है | भूमंडलीकरण  किस तरह प्रत्येक देश और जनता पर असर डालते है , इस कहानी में बताया है |संयुक्त परिवार से अणु परिवार की और के सफर के दौरान समाज से क्या -क्या गायब हुआ -यह बताने की कोशिश लेखक ने किया है |

    इस विश्लेष्ण के बाद हम कह पायेंगे कि 'पिता  'एक सफल कहानी है |

ज्ञानरंजन जी के बारे में पढिए 

वीडियो  क्लास -पिता
पार्टीशन -स्वयं प्रकाश 


हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार और कथाकार 
 प्रेमचंद की परंपरा का महत्वपूर्ण कथाकार 
प्रगतिशील लेखक संघ की मुखपत्रिका ‘वसुधा’ और बच्चों की चर्चित पत्रिका ‘चकमक’ के संपादक 
आत्मकथात्मक कृति ‘धूप में नंगे पांव’ 
‘मात्रा और भार’, ‘सूरज कब निकलेगा’, ‘आसमाँ कैसे-कैसे’, ‘अगली किताब’, ‘आएँगे अच्छे दिन भी’, ‘आदमी जात का आदमी’, ‘अगले जनम’, ‘संधान’, ‘छोटू उस्ताद’ (कहानी-संग्रह)
बीच में विनय’, ‘ईंधन’ (उपन्यास)

    कथावस्तु 
      भारत -पाक विभाजन के आधार पर लिखित कहानी है -पार्टीशन |कुर्बान भाई का जन्म अजमेर के  अमीर परिवार में हुआ थे|विश्वविद्यालय  में पढ़ते वक्त भारत -पाक विभाजन होता है और पूरा माहौल बदलता है |आजीविका कमाने के लिए कुर्बान भाई सब कुछ करता है |अंत में मोहल्ले में एक छोटा दूकान खोलता है |धीरे धीरे उसकी ज़िन्दगी में खुशियाँ वापस आ जाते है  |सब लोगों से अच्छे ढंग से व्यवहार करनेवाले कुर्बांभाई मोहल्ले के भले मानुसों में गिने जाने लगे |कागज़ के टुकड़ों में लिखे गए उसके विचार की ख्याति फ़ैल जाता है |दूकान में लोग आ कर भिन्न विषयों के बारे में चर्चा करने लगे|पढ्न और पाठन में रूचि रखनेवाला कुर्बांभाई भी उसमे शामिल होने लगे|दूकान में आये क्रांतिकारियों  के साथ दोस्ती होने के कारण लोग उससे  दूर होने लगे|एक दिन सब कुछ बिगड़ जाता है|कुर्बांनभाई 'मिया'हो जाता है | 
पात्र 
   'पार्टीशन' कहानी के मुख्य पात्र है - क़ुर्बानभाई | विभाजन से पीड़ित समाज के प्रतिनिधी के रूप में क़ुर्बानभाई पाठकों के सामने आ रहे है |इसके अलावा समाज के भिन्न -भिन्न लोगों के प्रतिनिधित्व करनेवाले पात्र भी इस कहानी में है | 
संवाद 
कथावस्तु को आगे ले चलनेवाला तत्व है -संवाद|पात्रो को अच्छी तरह समझने युक्त संवाद योजना लेखक ने बनया है |
भाषा -शैली 
 'पार्टीशन' कहानी में लेखक सरल ,सहज एवं  भावानुकूल भाषा का प्रयोग किया है | हिंदी के साथ  साथ उर्दू शब्दों का भी प्रयोग भी हुई है |
देश -काल 
  भारत-पाक विभाजन के वक्त की कहानी इस कहानी में बताया है |अजमेर और आसपास के  जगहों  के बारे में सूचना हमें मिल रहे है |
उद्देश्य 
  विस्थापन की समस्या पर पाठकों का ध्यान आकृष्ट करना लेखक का मुख्य उद्देश्य है |विस्थापन का असर सबसे ज्यादा बच्चों पर ही पड़ता है|बालक कुर्बान अमीर हो कर जीना शुरू किया था|मगर पार्टीशन अमीर को गरीब और गरीब को अमीर बनाता है | वातावरण से लड़कर जीने की क्षमता कैसे अपनाना है ,कुर्बांनभाई नामक पात्र के माध्यम से कहानीकार बताया है |लोगो के दिल और दिमाग  में गलत चिंता कितनी तेज़ी से असर डालते है ,यह इस कहानी में दिखाया है | धर्म के विचार आने पर समाज और लोग अपना तेवर कैसे बदलते है, यह कहानीकार दिखाया है |देश के विभाजन के कारण लोगों में जो बदलाव आया है,इसका सुन्दर वर्णन लेखक ने किया है |लोगों के सोच और विचार बदलने में साहित्य और संवादों के महत्वपूर्ण भूमिका पर भी लेखक ने प्रकाश डाला है |भारत को भारत बनानेवाले तत्वों के बारे में घन रूप से लेखक ने विचार किया है | साहित्य का असर समाज पर किस तरह पड़ रहा है -इस विषय के बारे में भी  लेखक ने सूचना दिया है |

   इस अध्यययन के बाद हम  कह सकते है,'पार्टीशन' एक सफल कहानी है |
        वीडियो क्लास -पार्टीशन
👉 पार्टीशन के आधार  पर लिखी कहानी 
👉 विभाजन 1947 के बाद बीत गया या नहीं -इस विषय पर चर्चा 
👉 कुर्बान भाई के माध्यम से इस सवाल का खोज
👉 अमीर व्यक्ति से कुर्बान भाई का परिवर्तन 
👉 विभाजन  के कारण हुई घटनाएँ  
👉 विभाजन और आम लोगों की यातनाएं 
👉 व्यवस्था में ईमानदार और शरीफ व्यक्ति को स्थान नहीं 
👉 देश प्रेम और धर्म केन्द्रित देश प्रेम 
👉 समाज पर धर्म केन्द्रित देश प्रेम का असर 
👉 अतीत और  वर्तमान काल का मिश्रण 
👉 सहज,सरल भाषा का प्रयोग 
👉 भारतीयता की खोज 

.                         एम्.डॉट कोम- एस.आर हरनोट  
 हिंदी साहित्य में एस.आर.हरनोट चर्चित नाम है    
हिमाचल प्रदेश के चर्चित लेखक                 
उपन्यास -हिडिम्ब 
कहानी -पंजा ,आकाशबेल आदि 
यात्रा विवरण- यात्रा (किन्नौर, स्पिति, लाहुल और मणिमहेश पर सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक यात्राएँ)
कथावस्तु 
    एस.आर हरनोट की नारी केन्द्रित कहानी है -एम्.डॉट कोम|कहानी के पात्र माँ के माध्यम से लेखक समाज में आए परिवर्तन,पर्यावरण पर हो रहे अत्याचार,सूचना क्रान्ति का सामज पर प्रभाव जैसे कई विषयों पर चर्चा की है |एक दिन सुबह मां  की भैस मर जाता है |लाश ले जाने की मदद के लिए माँ परसा ,जिसका पुश्तैती धंधा था मरे हुए पशुओं को उठाना के पास जाती है|वह बताता है उसके बच्चे वह काम करने से मना कर दिया है |अपना  बेटा  महेंद्र से मिलने की सलाह परसा देता है  |महेंद्र बता देता है  मां ने अपने घर के पशुओं का पंजीकरण नहीं की है ,इसलिए  वह कुछ कर नहीं पाएंगे |माँ हताश हो कर वापस जाती है |
पात्र  
 इस कहानी का मुख्य पात्र है -पुराने पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करनेवाला माँ |समाज के  शोषित लोगों के प्रतिनिधि के रूप में परसो और महेंद्र आते है |कहानी आगे ले चलने युक्त अन्य पात्रों के साथ -साथ प्रकृती भी इस कहानी में मुख्य भूमिका निभा रही है कहानीकार अपनी  ही इस कथन पर बल दे कर  पात्रों का सृजन किया है -" कहानी के लिए पात्र बहुत आवश्यक है, लेकिन पात्र तब बनता है जब कहानीकार उस पात्र के भीतर प्रवेश करता है।"
देश -काल 
  हरनोट  पर्वतीय अंचल की कहानीकार है  है |पर्वतीय इलाके का सुन्दर चित्रण इस कहानी में दिखाया है |
संवाद 
    पीढि़यों के आपसी रिश्तों को सूचित करनेवाला संवाद योजना इस कहानी विशेषता है |अपने समय का विशेष रेखांकन क्र्नेयुक्त संवाद योजना यहाँ देख सकता है |
भाषा -शैली 
  हरनोट  सरल और आम भाषा में लिखनेवाला लेखक है |उसकी यह खासियत इस कहानी में भी दर्शनीय है |शब्दों का प्रयोग आपने दृश्यों के समान इस कहानी में किया है |

उद्देश्य 
  एस.आर हरनोट की नारी केन्द्रित कहानी है -एम्.कोम|कहानी के पात्र माँ के माध्यम से लेखक समाज में आए परिवर्तन,संस्कृति में धीरे-धीरे हो रहे परिवर्तन ,पर्यावरण पर हो रहे अत्याचार,सूचना क्रान्ति का सामज पर प्रभाव जैसे कई विषयों पर चर्चा की है |ग्रामीण परिवेश संवेदन पूर्ण चरित्र और  शहरी परिवेश का संवेदनहीन चरित्र को मिला कर इस कहानी  में प्रस्तुत किया है |समाज के श्रमिक नारी का जीवन,उसकी जीवन संघर्ष,शिक्षा का अभाव आदि पर लेखक ने प्रकाश डाल रहा  है |प्रकृती से दूर होकर जीने की क्षमता मानव को नहीं है |फिर भी वह पर्यावरण पर अत्याचार कर रहा है |कहानीकार दिखा रहा है  यह मानवजाती को कभी भी शोभा नहीं देंगे | भारतीय समाज में माँ का महत्व,शहरीकरण के कारण गाँव से शहर की और लोगों का भाव,भूमंडलीकरण के कारण घरेलू उध्योगों को हुए नुक्सान ,समाज में आये आर्थिक व् सांस्कृतिक परिवर्तन आदि पर लेखक ने प्रकाश डाला है | भारतीय समाज वर्ण व्यवस्था,अंध विश्वास का प्रचार -प्रसार ,गावों की कमियाँ आदि भी इस कहानी में दिखाया है |
   समकालीन समाज के कई ज्वलंत विषयों पर चर्चा करनेवाली  कहानी 'एम्. कोम'एक सफल कहानी है |मशीनी जमाने में मशीन हो रहे मानव का मार्मिक चित्र लेखक ने प्रस्तुत किया है |


👉 भारतीय संस्कृति में 'माँ'का स्थान 
👉 भारतीय कृषक संस्कृति का परिचय 
👉 भूमंडलीकरण का भारतीय गाँवों पर प्रभाव 
👉 गाँव छोड़ रहे नौ जवान 
👉 विकास के नाम पर पर्यावरण पर हो रहे अतिक्रमण 
👉 विकास के कारण लोगों पर हुए मानसिक बदलाव 
👉 शिक्षित और  अशिक्षित लोगों का अंतर 
👉 घरेलू उद्योगों का पतन 
👉 ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था में बदलाव आने का कारण 
👉 सभी क्षेत्रों में तकनीकी का आगमन 
👉 जाती व्यवस्था का स्वरुप 
👉 संस्कृति में आये परिवर्तन 

 
 
                               सपनों  की होम डेलिवरी -ममता कालिया 

    समकालीन हिंदी  महिला साहित्यकारों में ममता कालिया प्रमुख है | समाज में मध्यवर्गीय परिवार की समस्याओं के  बारे में वह अपनी रचनाओं का मुख्य विषय बनाई है | 'छुटकारा',' एक अदद औरत', 'सीट नं. छ:',जैसे कहानी संग्रह :'यहाँ रहना मना है', 'आप न बदलेंगे' जैसे नाटक : बेघर, नरक दर नर, प्रेम कहानी उपन्यास जैसे रचानाओं से पाठकों के मन में एक विशिष्ट स्थान ममता  जी  ने अपनाई है |'सपनों की होम डेलिवरी'नामक उपन्यास  में पाक कला विशेषज्ञ  रूचि शर्मा के माध्यम से  समकालीन समाज का यथार्थ रूप प्रस्तुत कर रही है |स्त्री-पुरुष के बदलते संबंधों को बारीकी से ममता जी इस उपन्यास में दिखाई है |

कथावस्तु 

               विख्यात पाक कला  विशेषज्ञ रूचि शर्मा और पत्रकार सर्वेश का मिलन  एक टी .वी पाक कला धारावाहिक के बीच होता है |दोनों अपने अपने परिवार से अलग हो कर जीनेवाले थे| रुचि शर्मा के पति प्रभाकर दुराचारी और लम्पट थे | रुची को  मानने और उसको प्यार  देने के लिए तैयार नहीं थे|बच्चा बड़ा होने के बाद उसको विस्की देने और बेटे को अपने माँ से अलग करने की कोशिश वह करते रहते है|ऊब  कर रूचि घर छोडती है और अपने पिता की मदद से पाक कला  के क्षेत्र में अपना अस्तित्व बना लेती है |पारिवारिक कलह के  कारण अपने परिवार को छोड़े सर्वेश  खोजी पत्रकारिता में मग्न हो कर जी रहे थे |अचानक सर्वेश के बेटे का निधन होता है| यह  खबर सुन कर रूचि वहाँ  पहुंचती है और उसे अपनी बेटे के बारे में विचार आती है |रूचि और सर्वेश  के बीच दोस्ती दृढ़ बनता  है और बाद में दोनों एक साथ रहने का निर्णय भी करते है |

                   रूचि शर्मा की बेटा गगन उसके पास आ  जाता है |रूचि उसको रहने के लिए अपना फ़्लैट देती है |इसके बारे में सर्वेश से बताने वह हिचकती है |गगन नशा में डूब कर जीवन चलाते है |सर्वेश को गगन के क्रिया कलापों के बारे में फ़्लैट के सुरक्षा कर्मी सूचना देते है |रूचि और सर्वेश के बीच इसके कारण  झगड़ा होता है |रूचि होस्टल में रहना शुरू करती है |कई दिनों के बाद रूचि को सर्वेश का इ मेल मिलता है |उसमें वह नशे की दुनिया से  बचा कर अपने  घर लाये लडके के बारे में सूचनाये थे |अपनी पोता के समान सर्वेश की मां उसको पाल  रहा है,यह जान  कर वह  सर्वेश के घर पहुँचते है |वह लड़का गगन थागगन अपनी माँ से माफ़ी माँगता है |इसके बाद सब एक साथ वहाँ रहने  का फैसला लेता है |

पात्र और चरित्र चित्रण 

                 इस उपन्यास का मुख्य पात्र |दबावों के बीच जीवन संघर्ष में विजय  हासिल करनेवाली आधुनिक नारी का प्रतिनिधि पाक कला  विशेषज्ञ  रूचि शर्मा है |रुचि शर्मा के पति प्रभाकर दुराचारी और लम्पट थे  इसलिए वह उस घर के दम घोटू वातावरण से बाहा आ जाती है और अपना अलग अस्तित्व बना देती है |समकालीन समाज के मजबूत और के प्रतिनिधि के रूप में रूचि हमारे सामने आती है | खोजी पत्रकार सर्वेश पत्रकारिता दुनिया के प्रतिनधि के रूप में आ कर समाज के काला स्वरुप हमारे सामने प्रस्तुत कर रहे है |गगन और अंश समकालीन समाज के नई पीढ़ी के प्रतिनिधित्व करनेवाला पात्र है  जो नशे में डूब कर  पानी ज़िन्दगी का सर्वनाश कर रहा है |पुराने ममतामयी पीढ़ी के प्रतिनिधि के रूप में रूचि की माता-पिता  और सर्वेश की माँ बीजी  का प्रस्तुतीकरण हुआ है |

संवाद 

                उपन्यास की कथावस्तु को आगे ले जाने में संवाद का महत्वपूर्ण स्थान है |इस उपन्यास में लेखिका ने छोटे छोटे संवाद का प्रयोग की  है |प्रत्येक पात्र के मानसिक पीड़ा को व्यक्त करने योग्य संवाद योजना इस उपन्यास की विशेषता है |

देश काल 

         उपन्यास को अच्छी तरह समझने के लिए वह कहाँ घटित हो रहा है इसकी जानकारी होना है |इस उपन्यास की कथानक भारत के मुंबई शहर में घटित हो रहे  है |       

भाषा -शैली  

             भाषा   के बिना साहित्य निर्जीव है |ममता कालिया की रचनाओं में सरल,सहज कोमल शब्दावली देख सकेंगे |प्रश्नोत्तर शैली ,मिश्रित शैली ,काव्यात्मक शैली आदि इस उपन्यास में  देख सकेंगे |

उद्देश्य 

      ममता  कालिया का  उपन्यास   'सपनों की होम डेलिवरीमें बदलते दुनिया के साथ बदल रहे सामजिक रिश्तों का चित्रण हुआ  है |आधुनिक जीवन का दबाव सबसे ज्यादा नारियों पर ही पडती है |दबावों के बीच जी रही नारी और उसकी विचार में आये बदलाव यानी अपनी नियति को खुद बदलने की निर्णय लेनेवाली नारी का चित्र इस उपन्यास में लेखिका ने खींचा  है |शादी के कारण करियर से दूर रहने के कारण नारी को आर्थिक स्वंतन्त्रता नहीं होती |यह नारी पर मानसिक दबाव डाल रही है |आर्थिक स्वंतन्त्रता हासिल करके अपनी ज़िन्दगी आप चलाने के लिए तैयार होकर अबला से सबला बननेवाली आगे आनेवाली आधुनिक नारी है , रूचि शर्मा   |अनमेल विवाह के शिकार हो कर जिंदगी कैसे आगे ले चलना है ? सोच कर घर के दम  घोटू वातावरण में जीवन चलाने वाली  औरतों को मार्गदर्शन  देना लेखिका का   मुख्य उद्देश्य है |जीवन में आपसी प्रेम और मानवीय संवेदना की आवश्यकता क्या है ?इसका जवाब लेखिका इस उपन्यास में दे रही है |मानवीयता जिस प्रकार परिवार को भलाई देते है, यह  नशे में डूब गगन को अपने घर ला कर बसानेवाले सर्वेश हमें दिखा रहा है |नशा आधु निक जीवन का सबसे ज्वलंत समस्या है |इससे कैसे बचना है ?यह प्रत्येक व्यक्ति को पहचानने की आवश्यकता है |पति-पत्नी में मत भेद होने पर इसका बुरा असर बच्चों पर ही पड़ता है |गगन और अंश पारिवारिक कलह के कारण हो रहे असुरक्षा के कारण ही नशे की दुनिया में  फंस रहे है |

इसके अलावा निम्न लिखित  मुद्दों पर चिंता करने की प्रेरणा भी लेखिका दे रही है 

 👉 नारी शिक्षा की आवश्यकता 
👉 नारी आर्थिक स्वतंत्र  होने की आवश्यकता 
👉 जागरूकता से जीवन चलाने की आवश्यकता 
👉 परिवार में आपसी प्यार की आवश्यकता 
👉 पति -पत्नी एक दुसरे को मानने की आवश्यकता 
👉पारिवारिक जीवन में तालमेल और सामंजस्य की आवश्कता 
👉बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता 
👉शादी के बाद जिंदगी नही -यह विचार बदलने की आवश्यकता 
👉समाज में बढ़ रहे अनैतिक व्यवहार 
👉समाज  की  भलाई और पत्रकारिता 
👉 पत्रकारिता की दुनिया 
👉अपने आप को कैसे दबावों से बचना है -की अवधारणा की आवश्यकता 
👉लडकी  को अपना घर नही -यह विचार बदलने की आवश्यकता 
👉अच्छे नागरिक बनने की शिक्षा की आवश्यकता 
👉नशा से भावी पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता 
👉बच्चों को स्वावलम्बी बनने की शिक्षा देने की आवश्यकता
👉शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव होने की आवश्यकतता 
👉बनते – बिगड़ते, बिखरते – सिमटते, दाम्पत्य सम्बन्ध और उसका समाज पर प्रभाव 
👉अकर्मण्य पति के दबाव से मुक्त होने की आवश्यकता 
👉पारिवारिक टूटन और समाज 
👉अकेली रहनेवाली औरतों की समस्याएं 
👉आधुनिक समाज और रिश्तों का अधूरापन 
                    उपन्यास के तत्वों के आधार  पर किए गए इस अध्ययन के बाद हम कह सकते है ,'सपनों का होम डेलिवरी' एक सफल उपन्यास है |



हिंदी भाषा

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