HIN 1A (07)2 PROSE FORMS IN HINDI LITERATURE
गध्य गगन
1.गंगा मैया
2.हृषिकेश मुखर्जी के साथ ढाई दिन
3.बिगडैल बच्चे
4.स्त्री जो एक त्वचा है
5.रज़िया
6.डोमिन काकी
7.चिरापुंजी से आया हूँ
8.सबसे बड़ा आदमी
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लेखक परिचय
काका कालेलकर (1885 - 21 अगस्त 1981)
पद्मविभूषण दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर भारत के प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री, पत्रकार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
मूल रूप से कर्नाटक के करवार जिले का रहने वाला
गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, पत्रकार और लेखक
राष्ट्रीय शिक्षा के आदर्शों का विकास,सहजीवनी की समस्य ,सप्त-सरिता,कला : एक जीवन दर्शन,हिन्दुस्तानी की नीति,बापू की झांकिया,हिमालय की यात्रा,उस पार के पड़ोसी आदि
1964 में पद्मविभूषण
सरदार पटेल विश्वविद्यालय, आणंद, गुजरात विश्वविद्यालय और काशी विद्यापीठ से मानद् डी. लिट्
- सभ्यता का विकास नदियों के तट में
- नदी जीवनदायिनी
- भारतीय नदी को पूजनीय मानते है
- नदी को माँ का दर्जा
- नदी देश का जीवन दाता
- जीवन का मूल तत्व जल नदी देती है
- नदी का धार्मिक महत्व
- नदी का आर्थिक महत्व
- नदी का जीवनीपरक महत्व
- रामायण,महाभारत गंगा तट में
- कई ऐतिहासिक राजा गंगा के तट में
गंगा मैया का भव्य रूप देखिये - गंगा के विभिन्न रूपों का वर्णन
- वाल्मीकी,तुलसीदास ,कबीरदास गंगा तटवासी
- गंगा- यमुना संगम प्रयाग राज में
- गंगा हिमालय से पूर्व की और बहती है
- ब्रह्मपुत्र हिमालय से पश्चिम की और
- गंगा-और ब्रह्मपुत्र का मिलन गोअल्न्दो के पास
- गंगा और ब्रह्मपुत्र एक होकर पद्मा नाम लेती है
गंगामैया वीडियो क्लास
१.सप्रसंग व्याख्या कीजिए
"नदी ईश्वर नहीं है |बल्कि ईश्वर का स्मरण करानेवाला देवता है |"
यह वाक्य पद्मविभूषण दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर द्वारा रचित 'गंगा मैया'नामक लेख से लिया गया है | इसमें गंगा नदी के बारे में चर्चा हो रही है | किसी भी संस्कृति का आविर्भाव और विकास नदी से जुड़ कर ही होता है |लोगों को अपना ज्जीवन आगे ले चलने का अवसर नदी प्रदान करती है |शुद्ध हवा और स्वच्छ पानी के लिए लोग नदी के समन आते है |सभी प्रकार के लोगों को नदी सहायता देती है |हमें सब कुछ देनेवाले शक्ति को हम ईश्वर पुकारते है |इसलिए लेखक बता रहा है ,नदी ईश्वर से कम नहीं है|
हमारे जीवन में नदी का महत्व क्या है -यह यहाँ व्यक्त हो रहा है |
हृषिकेश मुखर्जी के साथ ढाई दिन - मनोहरश्याम जोशी -आधुनिक हिन्दी साहित्य के श्रेष्ट गद्यकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, पत्रकार, दूरदर्शन धारावाहिक लेखक, जनवादी-विचारक, फिल्म पट-कथा लेखक, उच्च कोटि के संपादक, कुशल प्रवक्ता तथा स्तंभ-लेखक
मनोहरश्याम जोशी मुंबई जाने का कारण जाने हृषिकेश मुखर्जी का परिचय हृषिकेश मुखर्जी का परिचय हृषिकेश मुखर्जी के जीवन का झलक निदेशक हृषीदा का परिचय सिनेमा के लिए समर्पित हृषीदा की ज़िंदगी सिनेमा के लिए समर्पित हृषीदा की ज़िंदगीसिनेमा के लिए समर्पित हृषीदा की ज़िंदगीसिनेमा के लिए समर्पित हृषीदा की ज़िंदगीमनोहरश्याम जोशी की वापसी
मनोहरश्याम जोशी - "हम लोग" के रचयिता
- 'दिनमान' और 'साप्ताहिक हिन्दुस्तान' के भी वे संपादक
- टीवी धारावाहिकों के भीष्म पितामह
(संस्मरण " बातों -बातों में " का एक अंश )- 'बातों बातों ' संस्मरण का हिस्सा
- मुंबई फिल्म इंडस्ट्री का महान हस्ति
- मामूली विषयों पर संजीदा फिल्में बनाने के बावजूद उनके मनोरंजन पक्ष को हमेशा मजबूत रखा।
- साहित्य समाज के आगे चलनेवाला मशाल
- सिनेमा में समाज का यथार्थ का चित्रण
- 'रियल' और 'रील 'लाइफ का अंतर
- जोशी और मुखर्जी का रिश्ता
- ईमानदार,कर्मठ,जिद्दी ऋषि दा का चित्रण
- फिल्म जगत का चित्रण
- ऋषिदा की व्यवहार कुशलता
- साहित्य और सिनेमा का संबंध
- निदेशक को साहित्य के बारे में जानकारी होने की ज़रूरी
- निदेशक किन बातों पर ध्यान देना है
- कैसे अच्छा फिल्म का निर्माण करना है
- फिल्म के लिए कहानी कैसे चुनना है
- प्रत्येक देश के अनुसार फिल्म बनांने की आवश्यकता
- साहित्य में सब लेखक तय करता है ,सिनेमा में दर्शक तय करता है
- मरीज की मानसिक दशा का चित्रण
- ऋषिदा का चरित्र चित्रण
- साहित्य में पूरा निर्णय साहित्यकार करता है तो सिनेमा में दर्शक
बिगडैल बच्चे -मनीषा कुलश्रेष्ठ
वीडियो देखें- बिगडैल बच्चे
लेखिका की आवाज़ में कहानी का मूल्यांकन
हिन्दी साहित्य जगत की जानी मानी लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ
कहानी संग्रह : बौनी होती परछाईं, कठपुतलियाँ, कुछ भी तो रूमानी नहीं
उपन्यास : शिगाफ़, शालभंजिका
चंद्रदेव शर्मा पुरस्कार (राजस्थान साहित्य अकादमी), लमही सम्मान - प्रमुख पात्र - लेखिका,डॉक्टर और उसकी पत्नी,कीथ,लीज़ा ,रोज़र ,डॉ.राशेद,निशी
- जीवन को देखने -समझने का अलग अलग दृष्टिकोण
- लेखिका की दिल्ली से अलवार की सैर का वर्णन
- भारत में कई संस्कृतियों है
- प्रत्येक संस्कृति के लोग अपने को श्रेष्ठ और अन्य को हेय मानते है
- विविधता में एकता को अपनाने की ज़रूरी
- नव युवक को गलत माननेवाला बुढा अब सच क्या है समझ रहे है
- दिल्ली का जीवन वर्णन
- नारियों की समस्या का वर्णन
- पढ़ी-लिखी लडकी को नौकरी के लिए जाने की अनुमति नहीं
- आर्थिक दबाव
- लोगों को व्यवहार से समझना है, कपड़ों से नहीं
- विविधता में एकता का चित्रण
- समाज और राष्ट्र के निर्माण में पारिवार की भूमिका
- सांस्कृतिक अंतर के कारण होनेवाले मानसिक समस्याएँ
- अपने परिवेश के बाहर आना है हमें
- ट्रेन सफर की घटनाएँ
- मानव सेवा माधव सेवा
- समाज में नारी का स्थान
- नयी पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी का संघर्ष
- युवाओं का सेवाभाव
- भारतीय परिवार की सूचनाएँ
बिगडैल बच्चे -मूल्यांकन ऑडियो क्लास
कहानी के तत्वों के आधार पर 'बिगडैल बच्चे' कहानी का मूल्यांकन कीजिए
कथावस्तु
दिल्ली
से अजमेर तक की रेल सफर में हो रहे घटना के बारे में लेखिका इस
कहानी में बता रही है | इस
घटना के बारे में लेखिका की माँ ने लेखिका को सूचना दी थी |दिल्ली से
अपनी बेटी निशी को अपने घर बुलाने के
लिए निकलनेवाली औरत पहले डिब्बे में अकेली थी|बाद
में कीथ ,लीज़ा और रोजर नाम के तीन युवा पात्र और एक डोक्टर और उनकी पत्नी भी उस डिब्बी
में आते है |युवाओं के व्यवहार बाकि तीनो को अच्छा नहीं लगता | वे
इस निष्कर्ष पर आते है कि नई पीढ़ी के ले लोग नालायक है |गाड़ी अलवार
में पहुंचने पर निशि की माँ मिठाई खरीदने के लिए
उतरती है और वापस अपने डिब्बे पहुंचने के पहले गाड़ी छूट जाने कारण ,चलती हुई गाडी पर चढ़ने की
कोशिश करती है और डिब्बे से बाहर गिर जाती है |कीथ ,लीज़ा
और रोजर उसको असपताल पहुँचाती है और डोक्टर रशीद के मदद से चिक्तिसा भी देती है| बाद में वे अपना सफर अगली ट्रेन में शुरू करती है|निशि की माँ को समझ में आती है नई पीढ़ी के लोग नालायक नहीं है |
पात्र
और चरित्र चित्रण
एक बुजुर्ग औरत,कीथ ,लीज़ा
और रोजर,डोक्टर और उनकी पत्नी ,रेलवे
के डोक्टर रशीद ,निशी आदि इस कहानी के पात्र है |प्रत्येक पात्र समाज के किसी वर्ग के प्रतिनिधि के
रूप में बनाया गया है|लेखिका ने इन पात्रों के माध्यम से भारत
का एक छोटा रूप प्रस्तुत की है |
संवाद
कथावस्तु आगे ले जाने में संवाद की
भूमिका प्रमुख है |इस कहानी में लिखिका ने छोटे -छोटे
संवादों का प्रयोग की है |प्रत्येक
पात्र को अपनी राय प्रकट करने का मौका संवाद के
माध्यम से लेखिका नै दी है |
देश
-काल
एक कहानी अच्छी तरह समझने के लिए वह कहाँ घटित हो रहा है,इसका जानकारी होना परम आवश्यक है|यह
कहानी रेल गाडी में घटित हो रही है|दिल्ली,अलवर,जयपुर
आदि इसका घटना स्थल है |
भाषा
-शैली
इस कहानी में लेखिका ने समकालीन समाज की भाषा -शैली
को अपनाई है |अंग्रेजी मिश्रित भाषा समकालीन समाज की
विशेषता है |वह इस कहानी में अन्यत्र हमें मिलेंगे |हिंदी,अंग्रेजी,उर्दू भाषाओँ का शब्द इस कहानी में देख पाएंगे |
उद्देश्य
बुजुर्ग (पुराने पीढ़ी) हमेशा युवा(नये पीढ़ी)को नालायक
समझ रहे है |लेखिका इस कहानी के माध्यम से यह बताना
चाहती है कि कुछ भी करने की क्षमता नये
पीढ़ी के लोगों को ही है |अपने बारे में न सोचते हुये घायल औरत को
अस्पताल पहुंचाकर उसको अपने साथ जयपूर तक ले जानेवाले इस कहानी के युवा पात्र यही सिद्ध कर रहा है|भारत
में लड़कियों को शिक्षा तो मिल रहे है |मगर,शिक्षा के अनुकूल काम करने की अनुमति नहीं है|इस कहानी के पात्र निशि शिक्षित होने पर भी अपनी
इच्छा के अनुसार जीने सुविधा न होने के कारण दुखी है |प्रत्येक बात के लिए उसे अपने पति की सहायता माँगना
पड रही है |इस तरह जीनेवाले कई औरतों के बारे में
सूचना लेखिका यहाँ दे रही है |भारतीय समाज में जाती की भावना एक मुख्य समस्या ही है
| भारतीय पारिवारिक व्यवस्था के बारे में भी सूचनाये
लेखिका हमें दे रही है |हम
अपने रीती को बेहतर मान कर जी रहे है |दूसरों
की रीती समझने और अपनाने हम अक्सर तैयार नहीं
होते |यह सही नही है ,इस
बात को पाठको तक पहुंचाना लेखिका का मुख्य उद्देश्य रही है |भारत को भारत बनाने वाला विविधता को समझने और उस
विविधता से एकता तक पहुचने की रास्ता
खोजने की प्रेरणा देना लेखिका का अन्य उद्देश्य है|रेल डिब्बा में भारत की सांस्कृतिक एकता को दिखाने
में लेखिका को सफलता मिली है |
कहानी के तत्वों के आधार पर पर किये गये इस
मूल्यांकन से हम कह सकते है ,यह कहानी एक सफल कहानी है |
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स्त्री जो एक त्वचा है -सुधीश पचौरी
वीडियो देखें- स्त्री जो एक त्वचा है -सुधीश पचौरी
हिंदी के विख्यात स्तंभ लेखक एवं मार्क्सवादी समीक्षक
समकालीन साहित्यिक-विमर्श, मीडिया-अध्ययन, पॉपुलर संस्कृति एवं सांस्कृतिक अध्ययन के विद्वान
नई कविता का वैचारिक आधार, कविता का अंत, दूरदर्शन की भूमिका, दूरदर्शन : स्वायत्तता और स्वतंत्रता आदि आदि प्रमुख रचनाएँ
समकालीन साहित्यिक-विमर्श, मीडिया-अध्ययन, पॉपुलर संस्कृति एवं सांस्कृतिक अध्ययन के विद्वान
नई कविता का वैचारिक आधार, कविता का अंत, दूरदर्शन की भूमिका, दूरदर्शन : स्वायत्तता और स्वतंत्रता आदि आदि प्रमुख रचनाएँ
चर्चित विषय
👉बाज़ार का जीवन पर प्रभाव
👉समकालीन समाज में विज्ञापन का प्रभाव
👉विज्ञापन और नारी
👉विज्ञापन और गोरा रंग
👉मध्यवर्ग और विज्ञापन
👉देहवादी विमर्श
👉सौन्दर्य और बनावटी सौन्दर्य का मुकाबला
👉वर्तमान समाज बाज़ार का है
👉परम्परागत बाज़ार और वर्तमान बाज़ार का अंतर
👉बाज़ार सम्पूर्णता का अवधारणा तय करता है
👉त्वचा पर आधारित सौन्दर्य शास्त्र
👉विज्ञापन मानव का नियन्त्रण कर रहा है
👉सौन्दर्य का उद्योग स्त्री को मारकर खाल उतारकर बेचता है
👉जीवन की सफलता 'दिखने' में
👉समाज में विचार और चिन्तन को स्थान नहीं
👉विज्ञापन स्त्री को सूर्यस्पर्शी बना दी
👉समाज में स्त्री शोषण का अगला मार्ग बन गाया है ,विज्ञापन
👉देहवादी विमर्श और बाज़ार
रजिया -रामवृक्ष बेनीपुरी
वीडियो देखें- रज़िया
विचारक,क्रन्तिकारी साहित्यकार,संपादक ,पत्रकार
'युवक ' पत्र निकाला
नाटक - अम्बपाली ,सीता की माँ ,संघमित्रा -अमर ज्योति ,तथागत आदि
विद्यापति की पदावली
बिहारी सतसई की सुबोध टीका
पतितों के देश में ,चिता के फूल ,लाल तारा,माटी -,गेहूँ और गुलाब ,जंजीरें और दीवारें,उड़ते चलो, उड़ते
चलो,मील के पत्थर
मुख्य बिंदु
'युवक ' पत्र निकाला
नाटक - अम्बपाली ,सीता की माँ ,संघमित्रा -अमर ज्योति ,तथागत आदि
विद्यापति की पदावली
बिहारी सतसई की सुबोध टीका
पतितों के देश में ,चिता के फूल ,लाल तारा,माटी -,गेहूँ और गुलाब ,जंजीरें और दीवारें,उड़ते चलो, उड़ते
मुख्य बिंदु
👉 सांप्रदायिकता का चित्रण
👉 रामवृक्ष बेनीपुरी की पुस्तक 'माटी की मूरतें' में संकलित है 'रज़िया'
👉 रजिया को अपने सूक्ष्म निरीक्षण और गहरी अनुभूति से जीवंत कर दिया है
👉 रज़िया चुड़िहारिन की कहानी
👉बचपन का चित्रण
👉 वर्गीय खाइयों और उससे उपजी विषमताओं की सूचना
👉 समाज में सांप्रदायिकता
👉 भारतीय गाँवों का चित्रण
👉 गाँवों के लोगों का जीवन
👉 वक्त बदलने के साथ कम हो रही घरेलू काम
👉 समकालीन राजनीति का परिचय
👉 नेताओं की कपटता
डोमिन काकी चित्रा मुद्गल
वीडियो देखें-डोमिन काकी
हिन्दी की वरिष्ठ कथालेखिका हैं।
कहानियाँ -जिनावर,बेईमान,अढ़ाई गज की ओढ़नी
उपन्यास -आवां,एक अमीन अपनी,गिलिगडु
कहानी-संग्रह- लपटें, बयान - ( (गरीब की माँ, बयान, डोमिन काकी, आतंकवाद, पहचान, ऐब, राक्षस, गणित, मिट्टी, नाम, गली, रिश्ता, शहर, सेवा, सेवक, रक्षक-भक्षक, बोहनी, आदि
सम्मान -'आवां ' के लिए व्यास सम्मान
डोम जाती की महिला की कहानी
जाती -भारतीय समाज की केन्द्रीय सच्चाई
मेहनतकश का परिश्रम धार्मिक तथा सामाजिक रीति रिवाज़ के नाम से हडपने के साजिश
पुरानी पीढ़ी बुरा और अच्छा संस्कार नए पीढ़ी को दे रहे है
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प्रदीप पंत-चेरापुंचि से आया हूँप्रदीप पंत का जन्म 24 एप्रैल 1941 हल्द्वानी जिला नैनीताल, उत्तराखंड में जन्म हुआ।
प्रदीप पंत निरंतर चालीस-पचास साल से साहित्य सृजन कर रहे हैं।
उपन्यासकार, कहानीकार, व्यंग्यकार, अनुवादक, समीक्षक, संपादक हैं।
प्रदीप पंत के 101 प्रतिनिधि व्यंग्य ,
कुत्ते की मौत,आम आदमी का शव ,एक से दूसरी आदि कहानियाँ,
महामहिम जैसे उपन्यास
संस्मरणों की पुस्तके हैँ-'सफर- हमसफर', 'कुछ और सफर', 'लौटने से पहले, 'महादेश की दुनिया'
लेखों और भेंटवार्ताओं की उनकी दो पुस्तकें-'स्त्री और समाज', 'प्रश्न और प्रसंग'
👉 भारत में हर साल सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान
👉 हाल ही में इसका नाम चेरापूंजी से बदलकर सोहरा रख दिया गया है।
👉 दुनिया की संस्कृति को मिलनेवाला है -यात्री
👉 यात्री दुनिया के इतिहास बदलते है
👉 यात्री -संस्कृति और सभ्यताओं के बीच पुल
👉 मेघालय के प्राकृतिक सौंदर्य
👉 मातृ प्रधान समाज
👉 सम्पती की मालिक स्त्री
👉 मेघालय -बादलों का घर
👉 शिलॉन्ग का मुख्य बाज़ार - लाला बाज़ार
👉 मेघालय तीन पर्वतीय श्रृंखलाओं से बँटा हुआ है - खासी,गारो और जयंतिया
👉 नारी शोषण कम
👉 मायती बाज़ार की विशेषताएं
👉 पुरुष का भू विवाह
👉 " भारत में जहाँ भी जाओ लोग सब जगह एक से है "
👉 संस्कृति की अजस्र प्रवाह
👉 संगीत और शोर में अंतर् होता है
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सबसे बड़ा आमी -भगवतीचरण वर्मा हिंदी के महान साहित्यकार
उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७१ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
उपन्यास[ -पतन (1928),चित्रलेखा (1934),तीन वर्ष,टेढे़-मेढे रास्ते (1946) -
कहानी-संग्रह --- मोर्चाबंदी
नाटक-,वसीहत, रुपया तुम्हें खा गया
पात्र - गजाति (चाय दूकान के मालिक),चिरौंजी (नौकर),राधे,शंकर (विद्यार्थी ),शर्माजी (काँग्रेस के कार्यकर्ता
मिस्टर वर्मा(वकील),कॉमरेड अहमद (कम्म्युनिस्ट वक्ता),रामेश्वर प्रसाद( अनजान व्यक्ति)
उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७१ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
उपन्यास[ -पतन (1928),चित्रलेखा (1934),तीन वर्ष,टेढे़-मेढे रास्ते (1946) -
कहानी-संग्रह --- मोर्चाबंदी
नाटक-,वसीहत, रुपया तुम्हें खा गया
पात्र - गजाति (चाय दूकान के मालिक),चिरौंजी (नौकर),राधे,शंकर (विद्यार्थी ),शर्माजी (काँग्रेस के कार्यकर्ता
👉 एकांकी एक रेस्तरां से शुरू होता है
👉 रोल मॉडल के बारे में उनकी अपनी राय है और उनकी मजबूत प्रस्तुतियां भी
👉 नेपोलियन, दुनिया का सबसे बड़ा व्यक्ति -शंकर
👉 नेपोलियन शक्ति के प्रतिनिधि
👉 शेल्ली दुनिया का सबसे बड़ा व्यक्ति -राधे
👉 शैली ने प्रेम का मार्ग दिखलाया,पशुता के सिद्धान्तों का खंडन किया
👉दुनिया में सबसे बड़ा व्यक्ति महात्मा गांधी- शर्माजी
👉गाँधी ने अपनी शांति और अहिंसा की विचारधारा द्वारा दुनिया को प्रबुद्ध किया है
👉 वह व्यक्ति एक बदमाश था, जिसने सभी की जेब काट ली थी और उन्हें अपनी आंखों में बेवकूफ बना दिया था।
एकांकी के तत्वों के आधार पर 'बिगडैल बच्चे' कहानी का मूल्यांकन कीजिए
भगवतीचरण वर्मा हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार थे |साहित्य के सभी क्षेत्रों में आपकी रचनाएँ हमें मिलेंगे| भारत सरकार ने आपको पद्मभूषण की उपाधि से समानित की है |’विचार’ नामक साहित्यिक पत्रिका का संपादन भी आपने किया है | ’सबसे बड़ा आदमी’आपकी एकांकी है |
कथावस्तुगजाति (चाय दूकान के मालिक) और चिरौंजी (नौकर) के बीच के संवाद से एकांकी शुरू होता है |पाव रोटी कम स्लाइस करने का आरोप लगा कर ग्जाती चिरौंजी के वेतन कम करने की बात करते है |तब विश्व विद्यालय के दो छात्र राधे और शकर आते है |राधे शेली का और शंकर नेपोलियन को समर्थन दे रहे है|उन लोगो के बीच गांधीजी को महान माननेवाला शर्माजी, लेनिन को महान माननेवाला कोमरेड अहम्मद भी आते है प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने आदर्श पुरुष को महान साबित करने का कोशिश करते है |तभी रामेश्वर प्रसाद वहाँ आते है और अपना परिचय देकर वहां के सभी लोगों के मत मानते हुए बता रहा है –“शेली,नेपोलियन,लेनिन,गाँधी ये सब नाम मात्र है,सबसे बड़ा आदमी तो मैं हूँ|बाद में वह सभी का पर्स लेकर जाता है |किसी को भी यह पता ही नहीं चला |
पात्र और चरित्र चित्रण
गजाति (चाय दूकान के मालिक),चिरौंजी (नौकर),राधे,शंकर (विद्यार्थी ),शर्माजी (काँग्रेस के कार्यकर्ता) ,मिस्टर वर्मा(वकील),कॉमरेड अहमद (कम्म्युनिस्ट वक्ता),रामेश्वर प्रसाद( अनजान व्यक्ति) आदि इस एकांकी के पात्र है |वे समाज के विभिन्न लोगों के प्रतिनिधि के रूप में हमारे सामने आते है
देश -काल
एकांकी के कथावस्तु अच्छी तरह समझने के लिए वह कहाँ घटित हो रहा है यह जानना परम आवश्यक है |भारत के किसी शहर में होने के रूप में ही इसका वर्णन हुआ है
भाषा -शैली
सामान्य लोगों की भाषा और शैली में इस एकांकी का निर्माण हुआ है | भगवती शरण वर्मा की सुंदर भाषा शैली इस एकांकी में दर्शनीय है |
संवाद
संवाद एकांकी का आत्मा है |इस एकांकी में छोटे संवाद योजना लेखक ने अपनाया है |प्रत्येक पात्र को अपना मत प्र्कक्त करने की छुट लेखक ने दिया है |
उद्देश्य
ईश्वर,राजा,नेता जैसे कई नामों से मानव को शोषण करनेवाला मानव ही है| इन में से किसी को माननेवाले व्यक्ति उनके नाम पर ‘वाद’शुरू करता है और वह बाद में अपना वाद फैलाने का और दूसरों को कम दिखाने का कोशिश शुरू करता है तो समाज में अशांति फैलेंगे | एक चाय की दूकान में हो रहे यह चर्चा सबसे बड़ा आदमी कौन है ?,में इस तथ्य को लेखक मुख्य रूप से हमरे सामने प्रस्तुत किया है |अगर हम एक दुसरे को मान कर सभी की राय अपना कर आगे बढ़ेंगे तो हमारा समाज सर्वश्रेष्ठ समाज माना जायेगे|अगर हम किसी वाद के अनुयायी बन कर जीवन बिता रहा है तो एकांकी के रामेश्वर के समान कोइ आयेंगे और अपना सब कुछ चुरा कर जायेंगे| इस लिए सतर्क हो कर हमें जीना है| गजाती जिस तरह भिन्न मतवाले लोगों को एकत्रित करके अपना दुकान चलाता है,उसी प्रकार हमें भी जीना है |
एकांकी के तत्वों के आधार पर पर किये गये इस मूल्यांकन से हम कह सकते है ,यह कहानी एक सफल एकांकी है |
विडिओ देखें- सबसे बड़ा आदमी
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