Language Proficiency Programme(LPP)
2020-2021
प्रेमचन्द : विचार और विमर्श ३१.०७.२१
बदलते परिवेश में प्रेमचंद की प्रासंगिकता ०२.०१.२२
प्रेमचन्द का लमही गाँव |दूरदर्शन केंद्र उत्तरप्रदेश की प्रस्तुती
प्रेमचन्द के अनमोल चित्र
स्वागत भाषण डॉ.रंजित एम्,अध्यक्ष,हिंदी विभाग ,कालीकट विश्वविद्यालय
उद्घाटन भाषण -डॉ.सी जयशंकर बाबु ,अध्यक्ष ,हिंदी विभाग ,पोंडीचेरी विश्व विद्यालय
बीज भाषण - डॉ आर। सुरेंद्रन ,भूतपूर्व अध्यक्ष ,हिन्दी विभाग ,कालीकट विश्व विद्यालय
विशेष भाषण -श्री ईश्वर करूण ,महा सचिव ,तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी ,चेन्नई
सत्र 1
अध्यक्ष -डॉ सतीश चन्द्र शर्मा 'सुधांशु' प्रधान संपादक 'नए क्षितिज',बदायुँ ,उत्तर प्रदेश
प्रपत्र प्रस्तुति
1. कफ़न कहानी एक झलक -अतुल्या एस नायर ,एम्.ई. एस कल्लटी कॉलेज
2.ठाकुर का कुआँ -बिनसिया ई। एम् एम्.ई. एस कल्लटी कॉलेज
3.पुत्रप्रेम कहानी -रमिषा, एम्.ई. एस कल्लटी कॉलेज
4.निर्मला उपन्यास एक अध्ययन -हनीना परवीन ,एम्.ई. एस कल्लटी कॉलेज
5.बड़े घर की बेटी कहानी में परिवार -शिफा नसरीन,एम्.ई. एस कल्लटी कॉलेज
6.'बडा भाई साहिब ' कहानी की प्रासंगिकता फातिमा शिलना ',
7.'कर्मभूमी'उपन्यास एक अध्ययन -फसलाना,एम्.ई. एस कल्लटी कॉलेज
10.गंगी के वास्ते जाती प्रथा का चित्रण -फर्साना
11.प्रेमाश्रम उपन्यास की समीक्षा--जिष्ण वी
12.गोदान उपन्यास में गाँव नंदना
13.कलम का सिपाही -प्रेमचंद ,अनिरुद्ध
“प्रेमचंद का साहित्य :विचार और विमर्श” राष्ट्रीय वेबिनार
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की १४१ वी जयंती के अवसर पर केरल राज्य के एम्.ई,एस क्ल्लटी कोलेज, मण्णारककाड़ के हिंदी विभाग “प्रेमचंद का साहित्य :विचार और विमर्श” राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया |कोलेज के प्राचर्य श्री.ए.एम्.शिहाब की अध्यक्षता में हुए वेबिनार का उद्घाटन पोंडिचेरी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सी. जयशंकर बाबु जी ने किया |उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा “मानव और समाज के पारस्परिक रिश्तों का विश्लेष्ण करनेवाले प्रेमचन्द की रचनाओं ने पीढियों के मार्गदर्शन का काम किया है |
संगोष्ठी में बीज भाषण देते हुए कालीकट विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के भूतपूर्व अध्यक्ष डॉ.आर.सुरेन्द्रन(आरसु) जी ने केरल में प्रेमचन्द के रचनाओं पर हुए अनुवाद,शोधकार्य,विभिन्न सहित्यकारों के प्रेमचन्द की रचनाओं पर दृष्टिकोण आदि पर प्रकाश डालते हुए कहा “प्रेमचन्द ने जीवन को बहुत नजदीक से देखा था|उनकी रचनाएँ उतना ही प्रासंगिक है ,जितना उसके समय में था |वक्त,जमाना और जीने का ढंग बदला,लेकिन प्रेमचन्द का जादू अब भी लोगों पर असर डाल रहे है |”
तद्वसर पर विशेष व्याख्यान देते हुए तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी के महासचिव ईश्वर करुण जी ने कहा-:मुंशी प्रेमचन्द का साहित्यिक योगदान सर्वकालीन है |आज के भारत को कई साल पहले ही अपनी दूर दृष्टि से उन्होंने देख लिया था|”
पत्रकार प्रेमचन्द के बारे में बताते हुए ‘नए क्षितिज’साहित्यिक पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ.सतीश चन्द्र शर्मा ‘सुधाँशु’ जी ने कहा प्रेमचन्द जी के लिए पत्रकारिता मिशन था |पत्रकारिता को उन्होंने बुनियादी सवालों से जोड़ा| समकालीन पत्रकारिता को बहुत कुछ सीख प्रेमचन्द से अपनाना है |
संगोष्ठी में द्वीतीय उप भाषा के रूप में हिंदी पढनेवाले एम्.ई.एस क्ल्लटी कोलेज के अतुल्या एस.नायर ,बिन्सिया,रमीषा ,ह्नीना,शिफा नसरीन,फातिमा शिलना ,फर्साना ,फस्लाना,मिर्शाना ,जिष्ना,नंदना ,अनिरुद्ध आदि छात्र –छात्राओं ने प्रपत्र प्रस्तुत की | विभाग अध्यक्ष डॉ.रंजित एम् स्वागत भाषण और रथीश ने कृतज्ञता ज्ञापन किया |
डॉ.रंजित एम्
प्रेमचंद की रचनाएँ सुनने के लिए इस्तमाल करें -प्रेमचंद रेडिओ
2021-2022
अंतर राष्ट्रीय मातृभाषा उत्सव २०२२