I Sem B.A/B.Sc LRP pattern

गध्य तारा 

त्रिशंकु बेचारा -हरिशंकर परसाई 
हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंगकार 
कहानी–संग्रह: हँसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे, भोलाराम का जीव।
उपन्यास: रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज, ज्वाला और जल।
संस्मरण: तिरछी रेखाएँ
 त्रिशंकु  का परिचय 

        सूर्यवंशी राजा निबंधन का पुत्र था त्रिशंकु |विश्वामित्र ने त्रिशंकु को स्वर्ग में भेजा|लेकिन वह देवों के राज्जा

 देवेन्द्र  को अच्छा नहीं लगा और उसे स्वर्ग में रहने की अनुमति नहीं दी |विश्वामित्र ने उसे पृथ्वी पर नहीं गिरने दिया

, अत: वह मध्य में रूका रह गयां विश्वामित्र उसके लिए दूसरे स्वर्ग का निर्माण करने में लग गये। जो त्रिशंकु स्वर्ग के

 रूप  में जाना जाता है |
त्रिशंकु का अर्थ है -निराधार लटका हुआ |

त्रिशंकु बेचारा के पात्र 

 त्रिशंकु -स्कूल मास्टर 

विश्वामित्र -रेंट कंट्रोलर 

इंददेव  -लोक निर्माण विभाग के भूतपूर्व इंजिनीयर 


     सारांश 


                  त्रिशंकु एक स्कूल मास्टर था |उसका सबसे बड़ा ख्वाहिश था -सबसे अच्छे मोहल्ले में सबसे अच्छे मकान में  रहना|इस केलिए उसने मकान मालिको के बच्चो को विशेष रूप से ध्यान देता था |एक बार उस शहर के रेंट  कंट्रोलर विश्वामित्र के बच्चे को त्रिशंकु मास्टर परीक्षा में उतीर्ण  होने  के लिए सहायता दी|इससे खुश  होकर  विश्वामित्र उपहार देना चाहता है| उपहार के रूप में मास्टर अच्छे मोहल्ले में अच्छे मकान मिलने की इच्छा प्रकट  करता है |विश्वामित्र मास्टर को सिविल लाइंस या स्वर्गपुरी में इन्द्रदेव से मिलाता है |इन्द्रदेव लोक निर्माण विभाग के   भूतपूर्व इंजिनीयर थे त्रिशंकु को देख कर वह अपना मकान किराए पर देने के लिए तैयार नहीं होता , क्योंकि मास्टर  को स्वर्गपुरी में जीने के लिए किन किन चीजों की  आवश्यकता थे  ,उनके अभाव थे |इसलिए मास्टर अपना सामान  लेकर विश्वामित्र के पास वापस आते है और अपना पुराना मकान ही देने की प्रार्थना करता हैतव तक वह  मकान  दुसरे व्यक्ति को दिया गया था |इसलिए अब भी त्रिशंकु धर्म शाला में रह रहा है |

 चर्चित समस्याएं 

👉सरकारी कार्यालयों के भ्रष्टाचार 

👉शहरों की रहने की समस्या 

👉समाज में बढ़ रहे असमानता का भाव 

👉हमारी शिक्षा प्रणाली की कमजोरियाँ 

👉शिक्षक और छात्र के रिश्ते में आए अंतर 

👉सामाजिक भेद भाव 

सप्रसंग व्याख्या कीजिए - "मैं कहूँगा एक अच्छा सा मकान|"

            यह वाक्य हरिशंकर परसाई जी द्वारा विरचित 'तिरशंकु  बेचारा' से लिया गया है |यह वाक्य त्रिशंकु मास्टर

 का है |
             त्रिशंकु मास्टर स्कूल में काम करता था |उसका सबसे बड़ी अभिलाषा थी अच्छे मोहल्ले के अच्छे मकान में

 रहना |अपनी इच्छा पूर्ती के लिए वह मकान मालिकों के बच्चों को महत्त्वपूर्ण प्रश्न बताता था और अधिक नम्बर भी

 देता था |त्रिशंकु सोच रहा था,इससे खुश हो कर किसी मकान मालिक आपको क्या चाहिए पूछेंगे तो वह बता देंगे 

 एक अच्छा सा मकान |

              शिक्षा के क्षेत्र में आये बदलाव पर लेखक यहाँ व्यंग्य कर रहा है |


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भीष्म को क्षमा नहीं किया गया -आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी 

  •  हिंदी  आलोचक ,निबंधकार,उपन्यासकार ,इतिहासकार 
  • हिंदी,संस्कृत,बंगला ,अंग्रेजी भाषाओँ के विद्वान् 
  • शांति निकेतन में हिंदी भाषा का अध्ययन 
  • शांति निकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर और क्षितिमोहन सेन साहित्य का अध्ययन 
  • 1957 में राष्ट्रपति द्वारा 'पद्मभूषण' की उपाधि से सम्मानित 
  • 'हिंदी साहित्य की भूमिका','कबीर','अशोक के फुल,'कुटज' जैसे निबन्ध की रचना 
  • 'पुनर्नवा','बाणभट की आत्मकथा' जैसे उपन्यास  की रचना 
  • द्विवेदी जी की भाषा परिमार्जित खड़ी बोली है।

         'महाभारत 'के प्रमुख पात्र भीष्म को आधार बना कर लिखा गया लेख है -भीष्म को क्षमा नहीं किया गया| इसमें भीष्म  को अवतार पुरुष क्यं नहीं माना गया नामक विषय पर लेखक अपना विचार प्रकट कर रहा है|साथ  ही साथ भारतीय संस्कृति की विशेषता पर भी प्रकाश दाल रहा है |पिता की गलत आकांक्षाओं को  तृप्त करने  के लिए देवदत्त भीषण प्रतिज्ञा लेता है कि  वह शादी नहीं करेंगे,इस तरह वह भीष्म नाम से विख्यात होता है |वह अपने भाइयों के लिए राजकुमारियों चुरा कर लाता है|उन लडकियों में से एक किसी दुसरे राजो को चाहनेवाली थी|यह जान कर भीष्म उसको अपने प्रिय के पास भेजती है,मगर वह उसको स्वीकार करने केलिए तैयार नहीं होते |वह युवती वापस आकर भीष्म से उसको शादी करने केकी मांग करती है |मगर अपने शपथ के कारण भीष्म तैयार नहीं होते |इसके कारण भीशं और उसके गुरु परशुराम के बीच लड़ाई भी होते है|फिर भी  भीष्म अपने शपथ में अडिग रहते है|     कृष्ण को हम अवतार मानते है ,मगर भीष्म को नहीं |इसका कारण क्या हो सकता है ?लेखक हमें बताता है श्रीकृष्ण सबके हित कल्याण को महत्व दिया |लेकिन भीष्म सत्य को चिपट कर रहने को महत्व दिया |सबके हित कल्याण को मानने केलिए वह भूल गया |इसलिए इतिहास भीष्म को क्षमा निहीं किया |ज्ञानी होने पर भी उचित अवसर पर उचित निर्णय लेने की क्षमता भीष्म को नहीं था|द्रौपदी को भरे हुए सभा में अपमानित होने पर भी वह चुप रहा | यह इसका द्योतक है |

चर्चित विषय 

  • भीष्म को अवतार पुरुष क्यों नहीं माना 
  • सबके हित कल्याण को महत्व देनें की आवश्यकता 
  • उचित निर्णय उचित समय पर लेने की आवश्यकता 
  • करनेवाला इतिहास का निर्माता होता है 
  • उम्र में बड़ा होने से कौन कौन से फायदा है ?
  • भारतीय समाज की विशेषताएं 
  • भारतीय संस्कृति की विशेषताएं 
  • साहित्यकारों के कर्तव्य 
  • साहित्य और समाज का सम्बन्ध

                                                                सुभान खां -रामवृक्ष बेनीपुरी  (रेखाचित्र)
महान विचारक, चिन्तक, क्रान्तिकारी साहित्यकार, पत्रकार  एवं   संपादक

ललित निबंध, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज, नाटक, उपन्यास, कहानी, बाल साहित्य   आदि  के लेखक 

देश और समाज के नवनिर्माण कार्य में रूचि  रखनेवाला  साहीत्य्कर 

वन्दे वाणी विनायक(ललित  निबन्ध),अम्बपाली,सीता की  माँ   जैसे नाटक ,

विद्यापति की पदावली,बिहारी सतसई की सुबोध टीका जैसे आलोचना ग्रन्ध 


पातितो  के  देश  में,आम्रपाली  ज्जैसे उपन्यास 

माटी  की  मूरतें  कहानी संग्रह 

कहानी सुनें        सुभान खां 1

                      सुभान खां 2

   

सारांश 

  सुभान खाँ 'बेनीपुरी  जी का एक  महत्वपूर्ण रेखाचित्र है। इमानदार,भाईचारे,सांप्रदायिक सौहार्द्र आदि पर बल देनेवाला सुभान खां का वर्णन  किया है। लम्बी,चमकती  हुई दाढ़ी वाला सुभान खाँ बचपन से ही बेनीपुरी जी को  प्यारा लगता  था |  नियमित रूप से नमाज़ चढनेवाला,हज् करने की इच्छा  रखनेवाला,काम को  अल्लह के तरह प्यार करनेवाला  सुभान खाँ से बातें करते वक्त लेखक को बहुत सुख मिलता था |अपनी कमाई से हज करने की इच्छा उसके मन में था |होली और मुहर्रम लेखक के मामा और सुभान खाँ एक दुसरे के घरो में मनाते थे | इस तरह मतांधता से भावी पीढ़ी को बचाने में वे ध्यान देते रहे सुभान खाँ का घर बच्चों का अघाडा था दिन भर वहाँ  जा कर खेलने का और पेट भर खाने की बातें लेखक हमें बता रहे  है|

     बड़ा होने के बाद लेखक को सुभान दा से मिलने का मौका कम हो जाता है और अंग्रेजी शिक्षा एक प्रकार का अजीब अस्वाभाविकता लेखक में बढने का कारण बनता है|फिर भी वह बचपन के वे मीठे पलों को कभी-कभी याद करते थे |  प्रेम की मन्दाकिनी बहानेवाला सुभान दादा अब ढेर सारे पैसे इकट्टे किये थे और हज करके आने के बाद वह ज्यादा समय नमाज़बन्दगी में ही बीतने लगा|

         हज करके वापस आने के बाद सुभान खान ने सभी ग्रामीणों की सहायता से गाँव में मस्जिद का निर्माण की | शहरों में हिन्दू -मुस्लिम वैमनस्य बढने लगा था | वह धीरे- धीरे  गाँवों तक पहुंचने लगा| गाँव के मुसलमान सुभान दादा  के मस्जिद  में गाय की क़ुरबानी देना चाहा |लेकिन सुभान दादा की "मै कहता हूँ,यह मजहब  नहीं है |मैं हज से हो आया हूँ ,'कुरान'मैंने पढ़ी है|गाय की कुर्बानी लाजिमी नहीं है|”

         सुभान खां की बात सून कर गाय की क़ुरबानी की बात स्थगित कियागया |इस तरह सुभान दादा ने  हिन्दू - मुस्लिम भाईचारा को बनाये रखने में सफलता हासिल की | सभी को समान रूप से शीतलता प्रदान करनेवाला ,भाईचारे का  संदेश  फैलानेवाला सुभान दादा के सामने लेखक नत मस्तक हो कर खड़ा होता है |

                 सांप्रदायिकता हमारे देश में नुक्सान पहुंचा रहा है,ऐसे मौके पर सुभान खाँ जैसे व्यक्ति समय की मांग है | हिन्दू -मुस्लिम एकता को अपने जीवन से ज्यादा कीमती माननेवाला सुभान खाँ किस तरह देश को आगे ले चलना है,यह सलाह समाज को दे रहा है |अपनी धर्म के प्रति श्रद्धा और दुसरे धर्म  के प्रति आदर दिखानेवाला  सुभान दादा  ज़रूर हमारे दिलों  पर प्रकाश डालेंगे |



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                                     यात्रा   का रोमांस-मोहन राकेश 

हिन्दी के प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और उपन्यासकार,कहानीकार
'सारिका' के संपादक 
'अषाढ़ का एक दिन' और 'आधे अधूरे' संगीत नाटक अकादमी' से पुरस्कृत 


  उपन्यास -    अंधेरे बंद कमरे, अन्तराल, न आने वाला कल         |
  नाटक -आषाढ़  का एक दिन,लहरों के  राज हंस,पैर तले जमीन 
  एकांकी -अंडे का शिल्का      
कहानी संग्रह -कार्ट मार्शल  तथा अन्य कहानियाँ, पहचान तथा अन्य कहानियाँ, वारिस तथा अन्य कहानियाँ।

अनुवाद : मृच्छकटिक, शाकुंतल।

 यायावर या यात्री के बारे में राकेश जी इस पाठ में हमें सुचना दे रहा है |यायावर (यात्री )निरन्तर यात्रा करते रहना चाहता है |उसको अनजाने पथ पर चलते रहने का मोह होता है,। उसके जीवन का सबसे बड़ी सन्तोष अथवा असन्तोष इसमें है कि उसका रास्ता कभी समाप्त नहीं होता। वह किसी स्थान पर जाने के लिए निकलता है किन्तु वहाँ पहुँचने पर तुरन्त दूसरे स्थान की और जानेवाली रास्ता उसे आकर्षित करती है।यायावर का एकमात्र लक्ष्य है- अपरिचित मार्ग से अनिश्चित स्थान की निरन्तर यात्रा करना।यायावर के पैर निरन्तर गतिशील रहते हैं। वे कभी रुकना नहीं जानते।यायावर का एकमात्र लक्ष्य मन को तरंगों के अनुसार आगे बढना  है। यायांवर प्रकृति की चीजों की तरह अपने आप को  भी दृश्य रूप में देखता है। उसमें विलीन होकर वह असीम अनुभूती भी हासिल करते है |

                               सब कुछ निश्चित और आयोजित करके करनेवाले यात्रा को लेखक यात्रा मानने के लिए तैयार नहीं है |पथ पर विश्वास न रहनेवाले को पथ के साथ मैत्री स्थापित कर नहीं पायेंगे |पथ की नाट्यशाला अपने पर्दा उन्हीं के लिए खोल देंगे जो पथ से मैत्री करेंगे  |यात्रा यायावर को तटस्थ दृष्टि प्रदान करते है |अपने आप को पहचानने का मौका यात्रा, यात्री को देंगे |नए वातावरण, नई परिस्थितियों के साथ नए लोगों से अधिक स्वस्थ और स्वाभाविक सम्बन्ध बनाने के कारण ही ही यात्रा के पल हमारे दिलों में हमेशा ताज़ा रहता है |  पूरी धरती को अपना घर मानने की क्षमता यात्रा यात्री को देते है |यायावर निरन्तर यात्रा करते रहना चाहता है, उसकी पथ अपरिचित और मंजिल अनिश्चित होती है।

                           कोल्हाई ग्लेशियर के  दूधसर झील की यात्रा के बारे में लेखक फिर सूचना दे रहा है |     लिद्दरवट के डाक बंगला से लेखक को  झील की सुचना मिलते है तो लेखक और उनके साथी झील की और निकलते है | मुश्किल रास्ता पार करके वे झील तक पहूँच जाते है | झील की सुन्दरता में मुग्ध हो कर लेखक वहाँ ज्यादा देर रुकना चाहता है |लेकिन वापस जाने की रास्ता के बारे में सोच कर तुरंत लौटता भी है |बीच में कई मुश्किलों का सामने करके वे वापस पहूँच जाते है बाद में उनको पता चलता है ,वह अमावस की रात थी और डाक बंगले के लोगों ने उनके जीवित लौटने की आशा छोड़ दी थी। 

       

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                                                            ममता कालिया  जान  से प्यारा 
 हिंदी और अंग्रेजी साहित्य के विद्वान 
हिंदी भाषा की प्रमुख लेखिका 
हिंदी भाषा की प्रमुख साहित्यकार रवीन्द्र कालिया की पत्नी 

कहानी संग्रह: छुटकारा, एक अदद औरत, सीट नं. छ:, उसका यौवन आदि 
उपन्यास : बेघर, नरक दर नरक, प्रेम कहानी, लड़कियाँ, एक पत्नी के नोट्स, दौड़ आदि 
कविता संग्रह : खाँटी घरेलू औरत, कितने प्रश्न करूँ,आदि 
नाटक संग्रह : यहाँ रहना मना है, आप न बदलेंगे
एकांकी  के तत्वों के आधार पर जान से प्यारा का मूल्यांकन 
              हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखिका ममता कालिया जी द्वारा विरचित रचना है  जान से प्यारा |इसमें हमारे
 ज़िन्दगी में कौनसी चीज़ को प्रमुखता मिल रहे है  की चर्चा की है |
कथावस्तु 

          युवा वैज्ञानिक डॉ कौशिक मरे हुए वस्तुओं को जीवन देने का फार्मूला ढूढ निकलता है |अपने साथी अविनाश के साथ मृतक लोगों के घरों की और वे निकलते है |पहले वह एक बुजुर्ग के घर पहुँचते है | वहाँ मृतक व्यक्ति के पुत्र-पुतिर्याँ रो रहे थे |उनसे अपने आने का कारण बताता है तो पुत्र-पुतिर्याँ ध्यान ही नहीं देते |क्योंकि उन्हें जो मिलना था वह मिल चुका था |फिर वे एक वृद्धा माँ को जीवन दिलाने के लिए पहुँचते तो वहाँ के बहु उन पर चिढ़ते है |फिर अपने पती  के मृत्यु के कारण तड़पनेवाली युवती के पास पहुँचती है |लेकिन वह पति के मृत्यु के बाद मिलने जा रहे जीवन बीमा क्लेम चाहती थी |फिर अपनी पत्नी की मृत्यु के कारण रो रहे व्यक्ति के पास पहुँचते तो वे नए शादी के लिए तैयारियाँ कर रहा था | डॉ.कौशिक और अविनाश अंत में यह निष्कर्ष पर पहुँचता है कि संसार केवल धन के लिए ही रोता है |

पात्र 

        डॉ,कौशिक और अविनाश इस एकांकी के मुख्य पात्र है |इनके अलावा मृतक लोगो के रिश्तेदार भी आते है |प्रत्येक पात्र समाज के किसी न किसी वर्ग के प्रतिनधि के रूप में बनाया गया है |

संवाद 

          एकांकी को आगे बढानेवाला तत्व है संवाद |इस एकांकी में लेखिका छोटे -छोटे संवाद योजना बनाई है |प्रत्येक पात्र को अपने मन की बात रखने की छूट लेखिका ने दी है |   

देश-काल -वातावरण 

           किसी भी रचना को पूर्ण रूप से  समझने के लिए    देश-काल -वातावरण  का   महत्वपूर्ण स्थान है |लेखिका ने समकालीन समाज के मुख्य समस्या को हमारे सामने प्रस्तुत की है     

भाषा शैली 

         प्रत्येक लेखक का अपनी भाषा और अपनी शैली होगी |ममता कालिया भी हिंदी साहित्य में अपनी भाषा और शैली से हिंदी साहित्य में अलग पहचान बन चुकी है |इस एकांकी में लेखिका ने आम लोगों की भाषा का प्रयोग की है |

उद्देश्य 

        हमारा समाज दिन भर आगे बढ़ रहे है |भौतिक रूप से हम धनी है |मगर आंतरिक रूप से हमारी हाल क्या है ?यह सवाल का ज़वाब लेखिका इस एकांकी के माध्यम से दे रही है |डॉ.कौशिक एक नया आविष्कार समाज के सामने प्रस्तुत कर रहे है,जिसके सहायता से मृतक लोगों को पुनः जीवन दे सकते है  |प्रिय जनों के साथ हमेशा रहने की इच्छा सबको है |इसलिए डॉ.कौशिक मृतकों को जिलाने के लिए कुछ लोगो के पास जाते है |मगर कोई भी मरे हुए अपने प्रिय जन को जिलाना नहीं चाहते |सब आर्थिक पक्ष पर बल देते है |मरे हुए व्यक्ति जिस प्रकार अपना जीवन परिवार केलिए बिताया था ,यह कोई सोचता ही नही | रिश्तों में धन का प्रभाव कितना है -यह तथ्य लेखिका हमे बता रही है |

        एकांकी के तत्वों के आधार पर किए इस अध्ययन के बाद हम कह सकते है 'जान से प्यारा'एक सफल एकाँकी है |     

 जान से प्यारा -वीडियो क्लास

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                        बहु  की विदा -विनोद रस्तोगी 

पात्र -जीवनलाल ,राजेश्वरी ,प्रमोद ,कमला ,रमेश 

हिंदी नाटक तथा रंगमंच के विख्यात हस्ती 

पारिवारिक -सामाजिक एकांकी 

दहेज प्रथा का वर्णन 

बहु -बेटी का अंतर 

धन की लालच 

कथावस्तु 

                     प्रमोद अपनी बहन कमला को बुलाने के लिए जीवनलाल के घर जाता है|दहेजलोभी जीवनलाल बहु के घर से बाकी रहे पाँच हज़ार न मिलने के कारण जाने की अनुमति नहीं देते|बात समझ कर कमला को दुःख होती है और वह रोने लगती है |कमला की पति अपने बहन गौरी को बुलाने के लिए गये थे |उसके ससुरवाले भी और दहेज माँगकर जाने किन अनुमति नहीं देती|जीवनलाल की पत्नी राजेश्वरी प्रमोद को पाँच हज़ार रुपया देता है और वह जीवनलाल को देने केलिए कहती है |बहु और बेटी को एक ही नजर से देखने का संदेश इस एकाँकी देते है |

पात्र 

                    दहेज लोभी पिताओं के प्रतिनिधि के रूप में चित्रित जीवनलाल ,ममतामयी माँ राजेश्वरी ,दहेज प्रथा के शिकार होअक्र जी रहे वधुओ के रूप में कमला और गौरी ,अपने बहिन की आँसू देख आकर भी कुछ कर नहीं पानेवाले भाईयों के  प्रतिनधि के रूप में प्रमोद और रमेश इस एकांकी के पात्र है |     

  संवाद 

          एकांकी को आगे बढानेवाला तत्व है संवाद |इस एकांकी में विनोद जी ने  छोटे -छोटे संवाद योजना बनाई है |प्रत्येक पात्र को अपने मन की बात रखने की छूट लेखक ने दिया है |   

देश-काल -वातावरण

              किसी भी रचना को पूर्ण रूप से  समझने के लिए    देश-काल -वातावरण  का   महत्वपूर्ण स्थान है |लेखक  ने समकालीन समाज के मुख्य समस्या को हमारे सामने प्रस्तुत किया है|इसमें जो घटना बताया है ,वह भारत में हर कहीं घटित होनेवाला है |    

 भाषा शैली 

         प्रत्येक लेखक का अपनी भाषा और अपनी शैली होगी | प्रमोद रस्तोगी  भी हिंदी साहित्य में अपनी भाषा और शैली से हिंदी साहित्य में अलग पहचान बनाया  है |इस एकांकी में लेखक  ने आम लोगों की भाषा का प्रयोग की है |

उद्देश्य 

      भारतीय  समाज में दहेजप्रथा एक अभिशाप के रूप में सालों से है |दहेज देने के लिए वधु के परिवार अपना सब कुछ बेचते है ,फिर भी वर के घरवालों के लालच का शमन नहीं होता |अपनी बेटी को ससुराल में चैन मिलने केलिए ही वे सब कुछ देते है |लेकिन, चैन तो मिलता ही नहीं |बेटी और बहु को एक समान देखने के लिए समाज तैयार नहीं होते |इसलिए ही लडकियों को कई समस्याएँ झेलना पड़ रही है|इसकी और हमारा ध्यान आकर्षित  करना लेखक का मुख्य उद्देश्य है|राजेश्वरी के माध्यम से लेखक  अपनी ताकत पह्चानेनेवाली औरत को दिखया है |हमेशा पर्दे के पीछे रहने के बजाय आगे आनेवाली राजेश्वरी जैसे व्यक्ति बनने  आह्वान लेखक दे रहा है |

          एकांकी के तत्वों के आधार पर किए इस अध्ययन के बाद हम कह सकते है 'जान से प्यारा'एक सफल एकाँकी है

  
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शादी की बात -स्वदेश दीपक 

 

                 'शादी की बात' स्वदेश दीपक जी का एक महत्वपूर्ण एकाँकी है |यह हास्य -व्यंग्य एकाँकी की श्रेणी में आते है |इसमें भारतीय समाज की ज्वलंत समस्या दहेज प्रथा के बारे में चर्चा हुई है |

कथावस्तु 

                   प्रभातचन्द्र और उसका नालायक  बेटा चाँद लडकी देखने के लिए आया है |रजनीदेवी की बेटी चकोरी को देखने के लिए वे आये है| चाँद ,उससे क्या पूछना है ,किस तरह का व्यवहार करना है आदि के बारे में लिख कर लाया था | घर के नौकरानी चमेली को देख कर चाँद ,चकोरी समझ कर उससे कुछ सवाल करता है |बाद में में वह चमेली है जान कर वह चुप रहता है |चकोरी ओर चाँद को बातचीत करने का मौका देकर प्रभातचन्द्र  और रजनीदेवी बाहर जाते है | दोनों के बीच हुए संवाद से हमें पता चलता है ,चाँद दहेज मिलने के कारण ही यहाँ आये है |उसको कोई  काम-धाम नहीं है |किससे,किस प्रकार व्यवहार करना है न जाननेवाले चकोरी चाँद को  शादी न करने की कसम चकोरी लेती है |उसी बीच  प्रभातचन्द्र और रजनीदेवी  आपनी शादी तय करते है |

पात्र 

                प्रभातचन्द्र और उसका बेटा चाँद ;रजनीदेवी और उसकी बेटी चकोरी ,नौकरानी चमेली आदि इस एकाँकी के पात्र है |चकोरी शिक्षित समकालीन नारियों के प्रतिनिधित्व करनेवला पात्र है ,जो अपनी बात खुल कर बोलने के लिए हिचकता ही नहीं |किसी तरह जीवन बितानेवाले युवा पीढ़ी के प्रतिनिधि के रूप में चाँद हमारे सामने आ रहे है |  

संवाद 

          एकांकी को आगे बढानेवाला तत्व है संवाद |इस एकांकी में दीपक  जी ने  छोटे -छोटे संवाद योजना बनाई है |प्रत्येक पात्र को अपने मन की बात रखने की छूट लेखक ने दिया है \छोटा मगर नपा-तुला संवाद इस एकाँकी विशेषता है |

देश-काल -वातावरण

              किसी भी रचना को पूर्ण रूप से  समझने के लिए    देश-काल -वातावरण  का   महत्वपूर्ण स्थान है |लेखक  ने समकालीन समाज के मुख्य समस्या दहेज प्रथा  को हमारे सामने प्रस्तुत किया है|इसमें जो घटना बताया है ,वह भारत में हर कहीं आज भी  घटित होनेवाला है |    

 भाषा शैली 

         प्रत्येक लेखक का अपनी भाषा और अपनी शैली होगी | दीपक जी   भी हिंदी साहित्य में अपनी भाषा और शैली से हिंदी साहित्य में अलग पहचान बनाया  है |इस एकांकी में लेखक  ने आम लोगों की भाषा का प्रयोग की है |प्रत्येक पीढी के अनुकूल भाषा शैली इस एकांकी में दर्शनीय है 

उद्देश्य 

           दहेज प्रथा  भारतीय समाज का अभिशाप है दुल्हन के घरवाले अपना जायदाद बेच कर दुल्हा के घरवालों को दहेज देता है |दहेज मिलने की इच्छा से आनेवाला चाँद और दहेज की इच्छा में आये चाँद को शादी करने के लिए तैयार नहीं है ,कहनेवाली चकोरी इस एकाँकी प्रमुख पात्र है |चाँद के माध्यम से लेखक आज भी हमारे समाज में व्याप्त दहेज़ प्रथा को हमारे सामने प्रस्तुत किया है |चकोरी,आधुनिक नारी है जो नारी को माल समझनेवालों के प्रति आवाज़ उठा रही है |शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाने की प्रेरणा देना  इस एकाँकी का मुख्य उद्देश्य है |बिना कुछ काम करके औरो की  सहायता से जीवन चलानेवाला पीढ़ी समाज के लिए बोझ ही है|समाज में किससे ,किस तरह व्यवहार करना है यह  कभी कभी लोग भूल जाते है |प्रत्येक देश को  अपनी संस्कृती होती है और अपना विचार |इसको समझने के बिना वहाँ जीना आसान नहीं होगा|

        एकांकी के तत्वों के आधार पर किए इस अध्ययन के बाद हम कह सकते है 'जान से प्यारा'एक सफल एकाँकी है |   



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रिहेर्सल   ओमप्रकाश आदित्य 

    ओमप्रकाश आदित्य हिंदी के समकालीन साहित्यकार है | ढेर सारी  महत्वपूर्ण रचनाएँ आप लिख चूका है | रिहेर्सल’नामक एकाँकी में एकांकीकार इलाज के क्षेत्र में हो रहे धोखा के बारे में बता रहा है|  

 कथावस्तु

   वैध्य परमानंद के पास एक स्त्री,किसान और अध्यापक आते है |प्रत्येक अलग अलग कारणों से आ रहे है|मगर परमानंद सब को एक ही दवा दे रहा है |वैध्य की बातें सुन कर उसके पास आनेवाले लोग डरता भी है |किसान के गाय को बिना देखे दवा देने में वैध्य हिचकता नहीं |प्रोफसर पांडुरंग भी लोगों को बेवकूफ बनाकर आजीविका कमानेवाला है |दोनों को इलाज कैसे करना है ,इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है |रमेश नामक लड़का के कारण दोनों के बेवकूफी समझने का मौका सबको मिलता है | नाटक के लिए रिहेर्सल करनेवाले बच्चे को बेहोश समझकर परमानंद और पांडू रंग इलाज करने लगता है |अंत में लड़का उठ कर बता रहा है ,वह रिहेर्सल कर रहा था | 

 पात्र

 वैध्य परमानन्द और प्रोफसर पांडूरंग लोगों को धोखा दे कर जीनेवाले चिकित्सकों के प्रतिनधि पात्र है | एक स्त्री,किसान,अध्यापक,रमेश आदि समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि पात्र है | 

संवाद 

          एकांकी को आगे बढानेवाला तत्व है संवाद |इस एकांकी में दीपक  जी ने  छोटे -छोटे संवाद योजना बनाई है |प्रत्येक पात्र को अपने मन की बात रखने की छूट लेखक ने दिया है \छोटा मगर नपा-तुला संवाद इस एकाँकी विशेषता है |

देश-काल -वातावरण

              किसी भी रचना को पूर्ण रूप से  समझने के लिए    देश-काल -वातावरण  सहायता देता है | |लेखक  ने समकालीन समाज के चिकित्सा के क्षेत्र को  हमारे सामने प्रस्तुत किया है इसमें जो घटना बताया है ,वह भारत में हर कहीं आज भी  घटित होनेवाला है |    

 भाषा शैली 

         प्रत्येक लेखक का अपनी भाषा और अपनी शैली होगी |ओमप्रकाश  जी   भी हिंदी साहित्य में अपनी भाषा और शैली से हिंदी साहित्य में अलग पहचान बनाया  है |इस एकांकी में लेखक  ने आम लोगों की भाषा का प्रयोग की है |प्रत्येक वर्ग के लोगों के  अनुकूल भाषा शैली इस एकांकी में दर्शनीय है |

उद्देश्य
       ओमप्रकाश जी की एक हास्य-व्यंग्य रचना है ,"रिहेर्सल"|इसमें एकांकीकार ने हास्य के माध्य से हमारे देश की
 स्वास्थ्य क्षेत्र की कमियाँ दिखाया है |हम आज भी सही समय पर सही इलाज मिलने से वंचित हो रहा है |इस कमी
 को परमानन्द और पांडुरंग जैसे झूठा चिकित्सक इस्तमाल करता है |सभी मरीजों को एक ही दवा देकर वे ख़ुशी से
 जीते है और बेचारा लोग जो उनके सामने जाता है ,मर जाता है |भारत के हर राज्यों में यह हाल हम देख सकते है |
सबसे पहले मरीज को झूठा चिकित्सक के पास ही लोग पहूँचाता है |यह मरीज  को लाभदायक नहीं होगा|इसलिए
 शासकों को इलाज सभी को मिलने की व्यवस्था बनाना है |तंदुरुस्त समाज देश की प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक
 है |यह संदेश देना लेखक का मुख्य उद्देश्य है |

      एकांकी के तत्वों के आधार पर किए इस अध्ययन के बाद हम कह सकते है 'रिहेर्सल 'एक सफल एकाँकी है |   


वैध्य परमानंद का चरित्र चित्रण  कीजिए 

        प्रथम सेमेस्टर एक झलक में गद्यतरंग और कालजयी एकाँकी               



हिंदी भाषा

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