HIN 2 .A 08 (1) } GRAMMAR AND TRANSLATION
०४.०४.२१
अध्याय 1 भाषा
भाषा के प्रकार - कथित भाषा( इसमें ध्वनियों का प्रयोग होता है ) और लिखित भाषा ( इसमें ध्वनियों के प्रतिनधि चिह्नों का प्रयोग होता है )
भाषा के प्रतिनिधि चिह्नों को वर्ण या अक्षर कहते है |-
अक्षरों के सार्थक समूह को शब्द कहते है
शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते है | वाक्यों से भाषा बनती है |
भाषा के सही ज्ञान के लिए व्याकरण की आवश्यकता है |भाषा के शुद्ध प्रयोग के लिए व्याकरण की आवश्यकता है |
व्याकरण
व्याकरण वह विधा या शास्त्र है ,जिसकी सहयता से मनुष्य शुद्ध भाषा,बोल पढ़ और लिख सकता है |
व्याकरण = वर्ण- शब्द -वाक्य का वैज्ञानिक अध्ययन
वर्ण - दो प्रकार का स्वर और व्यंजन
11 स्वर और 33 व्यंजन --- कुल 44 वर्ण
स्वर
अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ , अं, अः
व्यंजन
क वर्ग – क , ख , ग , घ , डं
च वर्ग – च , छ , ज , झ , ञ
ट वर्ग – ट , ठ , ड , ढ , ण
त वर्ग – त , थ , द , ध , न
प वर्ग – प , फ , ब , भ , म
लिपि - वर्णों के लिखने का क्रम लिपि नाम से जाना जाता है
हिंदी देव नागरी लिपि में लिखी जाती है
💻 वीडियो क्लास -भाषा,व्याकरण.वर्ण
सुनिए 📣 -भाषा और व्याकरण
सुनिए 📣 स्वर और व्यंजन परिचय
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अध्याय 2 शब्द विचार
शब्द विचार में शब्दों की उत्पत्ति ,प्रकार आदि का अध्ययन होता है |
जैसे क +ल=कल ,आ+म = आम
शब्दों का वर्गीकरण 1.अर्थ के आधार पर
2.व्युत्पत्ति के आधार पर
3.उत्पत्ति के आधार पर
4.प्रयोग के आधार पर
अर्थ के आधार पर भेद
1.वाचक शब्द - जिन शब्दों का अर्थ आसानी से समझ सकते है ,वाचक शब्द कहते हैं|
शब्द कहते है | किसी बेवकूफी करनेवाले को हम गधा कहते है ,यहाँ गधा का अर्थ
जानवर नही,मूर्ख है
3.व्यंजक शब्द - व्यंजक शब्द वे है जिनका न तो मुख्य अर्थ लिया जाता है न लाक्षणिक अर्थ ,बल्कि कोई गूढ़
अर्थ लिया जाता है |उदाहरण के लिए युद्ध क्षेत्र से भाग कर आनेवाले व्यक्ति से "तुम बड़े बहादुर हो | कहने पर उस व्यक्ति की कायरता ही दिखाता है |
व्युत्पत्ति के आधार पर भेद -
1. रुढ शब्द -जो शब्द सार्थक रूप से खंडित न हो सके और जिसका एक अर्थ रूढ़ या स्थिर हो गया है ,
रुढ शब्द कहा जाता है | जैसे - आँख ,कान
2.यौगिक शब्द - दो शब्दों के मेल से बननेवाला शब्द है ,यौगिक शब्द |
जैसे , पाठ +शाळा -पाठशाला
3. योगरूढ - जो शब्द यौगिक शब्द होने पर भी अपना सामान्य अर्थ छोड़कर एक विशेष अर्थ रखता है
योगरूढ शब्द कहा जाता है |
'पंकज ' = पंक+ ज अर्थात कीचड़ से उत्पन्न |लेकिन हम 'पंकज ' शब्द का अर्थ लेते है ,कमल
नीलकंठ -शिव
वीडियो क्लास -शब्द विचार 1
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उत्पत्ति के आधार पर शब्दों के भेद
1.तत्सम शब्द -जो शब्द संस्कृत भाषा से ज्यों के त्यों लिए गये है तत्सम शब्द माना जाता है |
जैसे - पुत्र ,अग्नि
2.तद्भव शब्द - संस्कृत भाषा से परिवर्तित हो कर हिंदी में आये शब्दों को तद्भव शब्द कहते है |
अग्नि(संस्कृत) से आग (हिंदी ), आम्र (संस्कृत) से आम (हिंदी)
3.देशज शब्द - अपने ही देश के बोलचाल से बने शब्दों को देशज शब्द कहते है|
जैसे - कपड़ा,पेड़
4.विदेशी शब्द -विदेशी भाषाओँ से हिंदी भाषा में आये शब्दों को विदेशी शब्द कहते है |
अंग्रेजी -बेंच,डस्क .कोर्ट,फीस
अरबी - किताब,हकीम
प्रयोग के आधार पर भेद -
वाक्य में प्रयोग के आधार पर शब्दों के दो भेद है - विकारी शब्द और अविकारी शब्द
1.विकारी शब्द - जिन शब्दों में लिंग ,वचन और कारक के कारण परिवर्तन होता है,विकारी शब्द कहते है |
संज्ञा,(NOUN)सर्वनाम (Pronoun) ,क्रिया (Verb),विशेषण (Adjective)
2.अविकारी शब्द - जिन शब्दों में लिंग ,वचन और कारक के कारण परिवर्तन नहीं होता है,अविकारी शब्द
कहते है |
क्रियाविशेषण( Adverb) ,सम्बन्ध्बोधक( Preposition) ,समुच्चयबोधक ( Conjunction )
, विस्म्यादी बोधक (Exclamation )
सुनिए 📣 - शब्द विचार -हिंदी अध्ययन मंडल ऍफ़.एम्
💻 वीडियो क्लास -शब्द विचार
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अध्याय 3 लिंग Gender
शब्द के जिस रूप से किसी व्यक्ति या प्राणी के पुरुष या स्त्री होने का पता हो उसे लिंग कहते है |लिंग दो प्रकार
का है -स्त्रीलिंग और पुल्लिंग
स्त्री लिंग - जो शब्द स्त्री जाती का बोध कराते है उन्हें स्त्रीलिंग कहते है | जैसे लडकी,नानी
पुल्लिंग -जो शब्द पुरुष जाती का बोध कराते है उन्हेंपुल्लिंग कहते है | जैसे लड़का ,दादा
पुल्लिंग संज्ञाओं के नियम
1.ग्रहों,धातुओं,नक्षत्रों ,पहाड़ों,रत्नों के नाम पुल्लिंग है | जैसे सोना ,सूर्य,हिमालय ,हीरा
अपवाद ( ये शब्द स्त्री लिंग माना जाता है )- चाँदी,पृथ्वी,इमली
2.महीनों तथा दिनों के नाम पुल्लिंग है | जैसे -चैत्र,वैशाख,रविवार
3.समुद्रों,देशों,जिलों,नगरों ,गाँवों का नाम पुल्लिंग है | जैसे अरब सागर,भारत,कासरगोड
अपवाद -दिल्ली (स्त्रीलिंग )
दिल्ली हमारी राजधानी है |
👉 दिल्ली स्त्री लिंग शब्द है |
4.अनाजों के नाम पुल्लिंग है | जैसे चावल,गेहूं ,चना
अपवाद(ये शब्द स्त्री लिंग माना जाता है ) -दाल ,अरहर
स्त्रीलिंग संज्ञाओं के नियाम
1.भाषाओँ के नाम स्त्री लिंग है -|| जैसे हिंदी,मलयालम
केरल की राजभाषा मलयालम है |
2.नदियों के नाम स्त्रीलिंग है | जैसे -गंगा,कावेरी
3.हिंदी के प्रायः सभी 'ई' कारान्त शब्द स्त्रीलिंग है| जैसे -लडकी,डाली
4.मसालों के नाम स्त्रीलिंग है| जैसे -इलायची ,लौंग (clove )
पुल्लिंग से स्त्री लिंग बनाने का नियम
1.प्राणि वाचक 'अ'कारान्त 'आ'कारान्त पुल्लिंग संज्ञाओं के अंतिम 'अ'अथवा 'आ' के स्थान पर 'ई'प्रत्यय लगाने से
उनका स्त्री लिंग रूप बनता है |
जैसे - लड़का -लडकी ,मामा मामी
2.व्यवसाय बोधक संज्ञाओं के अंत में 'इन'प्रत्यय लगाने से वे स्त्री लिंग बन जाती है |
जैसे - नाई-नाइन ,धोबी -धोबिन ,सुनार -सुनारिन
3.कुछ 'अ' कारान्त संज्ञाओं के अंत में 'नी'तथा 'आनी'प्रत्यय जोड़ने से स्त्री लिंग शब्द बनती है |
जैसे - मोर -मोरनी ,शेर -शेरनी
सेठ -सेठानी (सेठ +आनी ).देवर -देवरानी (देवर+आनी )
4.कुछ 'आ' कारान्त संज्ञाओं अंत में 'इया 'कर देने से वे स्त्री लिंग शब्द बन जाती है |
जैसे -कुत्ता -कुतिया , बेटा -बिटिया
5.हिंदी के अनेक पुल्लिंग शब्दों के स्त्री लिंग रूप सर्वथा भिन्न होते है
जैसे - भाई -बहन ,पुरुष -स्त्री ,मर्द-औरत ,पिता -माता
सदा पुल्लिंग रहनेवाले शब्द –
1.
दिनों के नाम – सोमवार, मंगलवार, आदि!
2.
महीनों के नाम – चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आदि!
3.
समयसूचक नाम – पहर, पल, क्षण, सेकंड, महिना, वर्ष
आदि!
4.
फलों के नाम – केला, संतरा, आम, आदि (लीची, खजूर -स्त्रीलिंग)
5.
रत्न और धातुओं के नाम – मूंगा, पुखराज, , हीरा, लोहा, आदि (चाँदी-स्त्रीलिंग)
6.
अनाजों के नाम – चावल, गेहूँ, बाजरा, आदि!
7.
वृक्षों के नाम – अशोक, आम, आदि (इमली – स्त्रीलिंग)
8.
देशों के नाम – वियतनाम, मलेशिया, आदि!
9.
पर्वतों के नाम – अरावली, हिमालय, विंध्य आदि!
10. समुदों
के नाम – हिंद महासागर, अरब
सागर
सदा स्त्रीलिंग रहनेवाले शब्द
1.
बोलियों के नाम – अंगिका, राजस्थानी, आदि!
2.
भाषाओँ के नाम – हिंदी, संस्कृत, मराठी, आदि!
3.
लिपियों के नाम – देवनागरी, गुरुमुखी, आदि!
4.
झीलों के नाम – नैनी, डल, मानसरोवर आदि!
5.
नदियों के नाम – सतलुज, रावी, ब्यास, आदि
(ब्रह्मपुत्र – पुल्लिंग)
6.
आहारों के नाम – खिचड़ी, रोटी, चपाती, आदि!
7.
किराने की वस्तुएँ – चीनी, इलायची, अरहर, आदि!
8.
शरीर के अंगों के नाम – आँख, नाक, आदि!
9.
बर्तनों के नाम – थाली, कटोरी, चम्मच, प्लेट, कढ़ाई आदि!
10. महीनों
के नाम – जनवरी, फरवरी, मई,
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अध्याय 4 संज्ञा
संज्ञा (Noun)
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा -जिस संज्ञा के द्वारा किसी,व्यक्ति,वस्तु,अथवा स्थान का बोध होता है उसे
व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है | जैसे - राम ,पुस्तक,दिल्ली
2.जातिवाचक संज्ञा -जो संज्ञा एक जाति के समस्त प्राणियों अथवा पदार्थों का बोध कराती है,उसे
जाती वाचक संज्ञा कहते है |जैसे-पुस्तक,नदी,मनुष्य
3.भाववाचक संज्ञा -जो संज्ञा किसी पदार्थ के गुण अथवा व्यापार का बोध कराती है,वह भाव
वाचक संज्ञा कहलाती है |जैसे हंसी,खुशी,भलाई
संज्ञा रूप लिखिए
मनुष्य -मनुष्यता हसना-हसी रोना-रुलाई पढना -पढाई
शिशु-शैशव खेलना-खेल लड़ना- लड़ाई सिलना -सिलाई
बूढा-बुढ़ापा चोर-चोरी काला -कालापन चढ़ना -चढाई
मित्र-मित्रता ठंडा -ठंड घबराना -घबराहट लाल-लाली
संज्ञा - हिंदी अध्यनन मंडल एफ एम
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अध्याय 5 सर्वनाम
3.निश्चयवाचक सर्वनाम (यह,वह,ये,वे )
4.अनिश्चयवाचक सर्वनाम (कोई,कुछ)
5.सम्बन्ध वाचक सर्वनाम (जो-वह )
6.प्रश्नवाचक सर्वनाम (क्या,कब ,क्यों ...)
1.पुरुषवाचक सर्वनाम -जिस सर्वनाम के द्वारा बोलनेवाले का ,सुननेवाले का अथवा जिस व्यक्ति के बारे
में बोला जाता है का बोध हो पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है | इसके तीन भेद है
1. उत्तम पुरुष -बोलने या लिखनेवाले का बोध देता है {मैं,हम}
2 .मध्यम पुरुष-सुननेवाले के लिए प्रयुक्त्त होता है { तू,तुम, आप}
3. अन्य पुरुष-जिसके विषय में कुछ कहा जाय(यह वह ,ये,वे )
2 .निजवाचक सर्वनाम-जो सर्वनाम अपने आप के लिए प्रयुक्त होता है उसे निजवाचक सर्वनाम कहते है |
राधा स्वयं गाडी चलाती है |
लडका अपने आप चला आया |
3.निश्चयवाचक सर्वनाम -जिस सर्वनाम से किसी निश्चित व्यक्ति,वस्तु अदि का बोध हो उसे निश्चयवाचक
सर्वनाम कहते है ||
यह राम का आम है | वह राम का मन्दिर है |
ये हमारे बच्चे है | वे उसके मित्र है
4.अनिश्चयवाचक सर्वनाम -जिस सर्वनाम से किसी निश्चित व्यक्ति,वस्तु अदि का बोध न हो उसे अनिश्चयवाचक
सर्वनाम कहते है |
कोई आया है |
कुछ लोग गये है |
5.सम्बन्ध वाचक सर्वनाम -जो सर्वनाम दो व्यक्तियों का ,दो वस्तुओं का अथवा दो बातों का संबंध बतलाए उन्हें
सम्बन्ध वाचक सर्वनाम कहते है |
जो पढ़ेगा वह पास हो जाएगा
6.प्रश्नवाचक सर्वनाम-जो सर्वनाम प्रश्न करने के लिए आते है,उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते है |
तुम्हें क्या चाहिए ?
कौन आया है ?
📣 सर्वनाम - हिंदी अध्ययन मंडल ऍफ़.एम्
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अध्याय 6 - विशेषण
विशेषण वह विकारी शब्द जिससे संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता,गुण,धर्म आदि का बोध होता है |
राम अच्छा लड़का है | गुलाब सुन्दर फूल है
सीता अच्छी लडकी है|
अच्छा लड़का। अच्छे लड़के। अच्छी लड़की
विशेषण के 4 भेद है
1.गुणवाचक विशेषण
2.संख्यावाचक विशेषण
3.परिमाणवाचक विशेषण
4.सार्वनामिक विशेषण
1.गुणवाचक विशेषण
जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम के गुण,रंग,आकर,काल,दशा ,स्थान आदि का बोध हो उसे गुणवाचक
विशेषण कहते है |
भला आदमी ,दुष्ट लड़का ,लाल दुपट्टा ,काला कौवा ,भारतीय लडकी ,मोटी औरत
2.संख्यावाचक विशेषण
जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो उसे संख्या वाचक विशेषण कहते है |
एक लड़का ,कई लडकियाँ ,पहला स्थान ,प्रत्येक व्यक्ति
3.परिमाणवाचक विशेषण
जिस विशेषण से किसी वस्तु की माप तौल आथवा परिमाण का बोध होता है परिमाणवाचक विशेषण कहते है |
सवा सेर चावल ,पांच किलो चीनी ,थोडा घी ,कम पानी
4.सार्वनामिक विशेषण
सर्वनाम यदि विशेषण के रूप में प्रयुक्त हो तो वह सार्वनामिक विशेषण कहलाता है |
वह मेरा घर है |यह लडकी कहाँ रहती है |
विशेषणों के रूपान्तर
पुल्लिंग एक वचन |
पुल्लिंग
बहु वचन |
स्त्री
लिंग दोनों वचन |
अच्छा |
अच्छे |
अच्छी |
काला |
काले |
काली |
सस्ता |
सस्ते |
सस्ती |
विशेषणों की तुलना
मूलावस्था |
उत्तरावस्था |
उत्तमावस्था |
सुंदर |
सुन्दरतर |
सुन्दरतम |
उच्च |
उच्चतर |
उच्चतम |
प्रिय |
प्रियतर |
प्रियतम |
विशेषण -हिंदी अध्यनन मंडल एफ एम
💻 विशेषण वीडियो क्लास
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अध्याय 7 क्रिया (Verb)
2.अकर्मक क्रिया
3.द्विकर्मक क्रिया
4.प्रेरणार्थक क्रिया
5.नामधातु क्रिया
6.संयुक्त क्रिया
7.सहायक किया
1. सकर्मक क्रिया
सकर्मक क्रिया वह है जिसमें क्रिया का फल कर्ता पर न पड कर कर्म पर पड़ता है |
जैसे -सीता ने आम खाया गोपाल हिंदी सीखता है
2.अकर्मक क्रिया
अकर्मक क्रिया वह है जिसमें क्रिया का फल कर्ता पर ही पड़ता है |
जैसे लडकी नाचती है राम आता है
सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया की पहचान क्या ,किसे ,किसको आदी प्रश्न पूछने से होती है |यदि कोई
उत्तर मिलता तो क्रिया सकर्मक है और नहीं तो अकर्मक |
सीता ने आम खाया| सीता ने क्या खाया ? उत्तर मिलता है -आम |इसलिए क्रिया सकर्मक है
3.द्विकर्मक क्रिया
कुछ क्रियाओं में अर्थ की पूर्णता के लिए दो कर्मों की आवश्यकता होती है,ऐसी क्रियाओं को द्विकर्मक क्रिया
कहते है |
राम ने बच्चे को कहानी सुनाई
4.प्रेरणार्थक क्रिया
जिस क्रिया के व्यापार में क्रिया कार्य स्वयं न करके केवल करने की प्रेरणा देता है,उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते है |
मूल क्रिया द्विकर्मक क्रिया प्रेरणार्थक क्रिया
मिलना मिलाना मिलवाना
चलना चलाना चलवाना
खाना खिलाना खिलवाना
निकलना निकालना निकलवाना
डूबना डुबोना डूबवाना
5.नामधातु क्रिया
क्रिया के अतिरिक्त अन्य शब्दों में प्रत्यय जोड़ कर जो क्रिया बनाई जाती है,उसे नामधातु क्रिया कहते है |
रंग-रंगना ,अपना -अपनाना ,हाथ-ह्थियाना
6.संयुक्त क्रिया
दो या दो से अधिक धातुओं को मिला कर बनानेवाली क्रियाएं संयुक्त क्रिया कहलाती है |
खा जाना ,कह देना
संयुक्त क्रिया के भेद
1. आरम्भबोधक - लगना - राम पढ़ने लगा सीता पढने लगी
2.समाप्ती बोधक -चुकना राम पढ़ चुका है सीता पढ़ चुकी है
3.शक्तिबोधक -सकना राम पढ़ सकता है सीता पढ़ सकती है
4.निश्चयबोधक - गिर पड़ा ,बोल उठा राम बोल उठा सीता बोल उठी
5.अवकाश्बोधक -पाना राम जाने न पाया
6.अनुमातिबोधक -देना - राम को बोलने दो
7.नित्यता बोधक -(बोलता रहा... ) हवा चल रही है
8.आवश्यकता बोधक-पड़ना,चाहिए - यह काम मुझे करना पड़ता है;
9.इच्छा बोधक -चाहना - मैं खाना चाहता हूँ
10.अभ्यास बोधक - पढ़ा करना,रोया करना
7.सहायक किया
मुख्य क्रिया के रूप को पूरा करनेवाली क्रियाएँ सहायक क्रियाएं कहलाती है |
वह जाता है | वह जा रहा था
📣 क्रिया -हिंदी अध्ययन मंडल ऍफ़.एम्
📣 क्रिया २ हिंदी अध्ययन मंडल ऍफ़.एम्
💻 क्रिया -वीडियो क्लास
💻 क्रिया और काल वीडियो क्लास
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अध्याय 8 वचन
संज्ञा के जिस रूप से संख्या का बोध हो उसे वचन कहते है |हिंदी में दो वचन है एकवचन और बहुवचन
एकवचन - संज्ञा के जिस रूप से एक पदार्थ या व्यक्ति का बोध हो उसे एकवचन कहते है |
लड़का ,लडकी
बहुवचन -संज्ञा के जिस रूप से एक से अधिक पदार्थों या व्यक्तियों का बोध हो उसे बहुवचन कहते है |
लडके,लडकियाँ
एकवचन से बहुवचन बनाने का नियम (विभक्ति रहित रूप )
1.आकारान्त पुल्लिंग संज्ञाओं के अंतिम 'आ'को 'ए 'कर देने से बहुवचन बनता है |
लड़का -लडके कुत्ता -कुत्ते
2.अकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में 'अ'के स्थान पर 'एं' जोड़ देने से बहुवचन बनता है |
रात-रातें किताब -किताबें
3.आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में 'आ'को 'ऍ' कर देने से बहुवचन बनता है
लता-लताएँ कन्या - कन्याएँ
4.आकारान्त पुल्लिंग शब्दों को छोड़ कर शेष पुल्लिंग शब्द दोनों वचनों में समान रहते है
गुरु-गुरु मुनि-मुनि घर-घर
5.'इ'कारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में 'याँ' जोड़ने से बहुवचन बनता है
रीति-रीतियाँ तिथि -तिथियाँ जाति -जातियाँ
6.'ई'कारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में 'ई'को ह्रस्व बनाकर 'याँ 'जोड़ने से बहुवचन शब्द बनता है |
लडकी -लडकियाँ नदी -नदियाँ
7.'या'कारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में चन्द्रबिन्दु लगानेसे बहु वचन शब्द बनते है |
चिड़िया -चिड़ियाँ
8.एक वचन संज्ञाओं के साथ गण,लोग,वृन्द,जन आदि समूहवाचक शब्द जोड़ने से बहु वचन रूप बनते है
अध्यापक -अध्यापक वृन्द पाठक -पाठक गण
एकवचन से बहुवचन बनाने का नियम (विभक्ति सहित रूप )
1. अकारान्त,आकारांत (संस्कृत शब्दों को छोड़ कर) तथा ए कारान्त संज्ञाओं में अंतिम स्वर को 'ओं ' कर देने से बहु वचन बनता है |
हाथ में - हाथों में (अ- ओं )
कुत्ते ने -कुत्तों ने (ए -ओं)
2 .संस्कृत की आकारांत तथा संस्कृत –हिंदी की सभी उकारांत,ऊकारांत ,अकारांत,औकारांत संज्ञाओं के
बहु वचन बनाने के लिए अंत में “ओं’ जोड़ा जाता है
लता पर –लताओं पर (आ- ओं )
पशू को – पशुओं को (ऊ –ओं)
3.सभी इ कारंत संज्ञाओं का बहु वचन बनाने के लिए अंत में यों जोड़ा
जाता है
मुनि से –मुनियों से
4. सभी ईकारान्त संज्ञाओं में
“ई” को ‘इ’ करने के बाद ही ‘यों’ जोड़ा जाता है
लडकी ने –लडकियों ने
नदी में –नदियों में
लडकों के हाथ में क्या है ?(गलत )
लडकों के हाथों में क्या है ( सही )
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अध्याय 9 कारक
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उसका संबंध प्रकट हो उसे कारक कहते है|
राम ने रावण को मारा |
हिंदी में आठ कारक है |
कारक विभक्ति चिह्न
कर्ताकारक ने
कर्म कारक को
करण कारक से
अपादान कारक से
संप्रदान कारक को ,के लिए,के वास्ते
संबंध कारक का,के,की
अधिकरण कारक में ,पर
संबोधन कारक है,अरे
कर्ताकारक -संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से कार्य करनेवाले का बोध होता है ,उसे कर्ताकारक कहते है |
कर्ताकारक की विभक्ति 'ने'है | जैसे राम ने रावण को मारा
कर्म कारक- क्रिया के व्यापार का फल जिस वस्तु अथवा व्यक्ति पर पड़ता है ,उसे कर्म कारक कहते
है | कर्म कारक की विभक्ति 'को' है | जैसे राम ने रावण को मारा
करण कारक- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के साधन का बोध हो ,उसे करण कारक कहते है |करण
कारक की विभक्ति 'से ' है जैसे लड़का कलम से लिखता है |
अपादान कारक-संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से अलगाव या पृथकत्व का बोध हो , उसे अपादान कारक कहते
है | जैसे हाथ से कलम गिर गयी | लड़का स्कूल से आता है
संप्रदान कारक - जिसको कुछ दिया जाय अथवा जिस केलिए कुछ किया जाय इसका बोध करानेवाले कारक को
संप्रदान कारक कहते है |'को'.'के लिए','के वास्ते' इसके विभक्ति चिह्न है |
रामू को दो रुपया दो
पिताजी मेरे लिए(मैं +के लिए ) किताब लायी
संबंध कारक - संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से दुसरे वस्तु के साथ उसका सम्बन्ध मालूम होता है ,उसे संबंध
कारककहते है | का,के की इसकी विभक्तियाँ है
राम का बेटा |राम के बेटे |राम की बेटी |
अधिकरण कारक - संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया अथवा संज्ञा के आधार का बोध हो ,उसे अधिकरण
कारक कहते है |'में','पर ' इसकी विभक्तियाँ है
इस घर में कौन है ? मेज़ पर किताब रखी है |
संबोधन कारक - संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी को पुकारने का बोध होता है ,उसे संबोधन कारक
कहते है | 'हे','अरे','अहो 'आदि इसके बिभ्क्ति चिह्न है
हे ,राम |अरे,रामू
सर्वनामों की कारक रचना
कारक |
एकवचन |
बहुवचन |
कर्ताकारक |
मैं+ने - मैंने |
हम+ने , हमने |
कर्म कारक |
मैं+को -मुझको,मुझे |
हम+को -हमको,हमें |
करण कारक |
मैं+से -मुझ से |
हम +से-हमसे |
अपादान कारक |
मैं+से -मुझ से |
हम +से-हमसे |
सम्प्रदान कारक |
मै+को -मुझको,मुझे मैं+केलिए
-मेरेलिए मैं+के वास्ते
-मेरेवास्ते |
हम+को -हमको,हमें हम+केलिए -हमारेलिए हम+के वास्ते -हमारेवास्ते |
संबंध कारक |
मैं+का -मेरा मैं+के-मेरे मैं+की -मेरी |
हम+का-हमारा हम+के-हमारे हम +की-हमारी |
अधिकरण कारक |
मैं+में -मुझमें मैं+पर-मुझपर |
हम+में-हममे हम+पर-हमपर |
मध्यम पुरुष वाचकसर्वनाम तू (एकवचन ) तुम (बहु वचन )
कारक |
एकवचन |
बहुवचन |
कर्ताकारक |
तू +ने – तूने |
तुम +ने =तुमने |
कर्म कारक |
तू+को-तुझको,तुझे |
तुम+को-तुमको,तुम्हें |
करण कारक |
तू +से -तुझसे |
तुम+से- तुमसे |
अपादान कारक |
तू +से -तुझसे |
तुम+से- तुमसे |
सम्प्रदान कारक |
तू+को-तुझको,तुझे तू+केलिए- तेरेलिए |
तुम+को -तुमको,तुम्हें तुम + केलिए -तुम्हारेलिए |
संबंध कारक |
तू +का -तेरा तू+के -तेरे तू +की-तेरी |
तुम+का-तुम्हारा तुम+के-तुम्हारे तुम+की-तुम्हारी |
अधिकरण कारक |
तू+में -तुझमें तू+पर -तुझ पर |
तुम+में -तुममें तुम+पर -तुम पर |
कारक |
एकवचन |
बहुवचन |
कर्ताकारक |
यह +ने इसने वह +ने -उसने |
ये +ने =इन्होंने वे+ने-उन्होंने |
कर्म कारक |
यह +को- इसको,इसे वह +को-उसको,उसे |
ये +को-इनको,इन्हें वे +को-उनको,उन्हें |
करण कारक |
यह +से – इससे वह +से -उससे |
ये+से -इनसे वे+से-उनसे |
अपादान कारक |
यह +से – इससे वह +से - उससे |
ये+से -इनसे वे+से-उनसे |
सम्प्रदान कारक |
यह +को-इसको,इसे वह+को-उसको,उसे यह +केलिए- इसके लिए वह+केलिए-उसके लिए |
ये+को-इनको,इन्हें वे+को-उनको,उन्हें ये+के लिए -इनके लिए वे+केलिए-उनके लिए |
संबंध कारक |
यह+का -इसका यह +के -इसके यह+की -इसकी वह+का -उसका वह+के -उसके वह+की-उसकी |
ये+का-इनका ये+के-इनके ये+की-इनकी वे+का-उनका वे+के-उनके वे+की-उनकी |
अधिकरण कारक |
यह+में -इसमें यह+पर-इस पर वह+में -उसमे वह+पर -उस पर |
ये+में-इनमें वे+में -उनमें ये+पर -इन पर वे+पर -उन पर |
कारक |
एकवचन |
बहुवचन |
कर्ताकारक |
कोई + ने – किसने |
कोई +ने – किन्होंने |
कर्म कारक |
कोई +को –किसको |
कोई+को – किनको |
करण कारक |
कोई +से-किससे |
कोई +से –किनसे |
अपादान कारक |
कोई +से-किससे |
कोई +से-किनसे |
सम्प्रदान कारक |
कोई +को –किसको कोई +केलिए –किस केलिए |
कोई+को –किनको कोई +के लिए –किन के लिए |
संबंध कारक |
कोई +का –किसका कोई +के –किसके कोई +की –किसकी |
कोई +का –किनका कोई +के- किनके कोई +की- किनकी |
अधिकरण कारक |
कोई +में –किस में कोई +पर-
किस पर |
कोई +में-किनमें कोई +पर –किन पर |
कारक |
एकवचन |
बहुवचन |
कर्ताकारक |
घोडा + ने -घोड़े ने |
घोड़े +ने -घोड़ों ने |
कर्म कारक |
घोडा+को -घोड़े को |
घोड़े +को -घोड़ों को |
करण कारक |
घोडा+से-घोड़े से |
घोड़े +से -घोड़ों से |
अपादान कारक |
घोडा+से-घोड़े से |
घोड़े +से-घोड़ों से |
सम्प्रदान कारक |
घोडा+को -घोड़े को घोडा+केलिए -घोड़े केलिए |
घोड़े +को -घोड़ों को घोड़े +के लिए -घोड़ों के लिए |
संबंध कारक |
घोडा+का -घोड़े का घोडा+के -घोड़े के घोडा+की -घोड़े की |
घोड़े +का -घोड़ों का घोड़े +के-घोड़ों के घोड़े +की-घोड़ों की |
अधिकरण कारक |
घोडा+में -घोड़े में घोडा+पर-घोड़े पर |
घोड़े +में-घोड़ों में घोड़े +पर -घोड़ों पर |
कारक |
एकवचन |
बहुवचन |
कर्ताकारक |
जो + ने – जिसने |
जो +ने – जिन्होंने |
कर्म कारक |
जो +को –जिसको |
जो +को – जिनको |
करण कारक |
जो +से-जिससे |
जो +से –जिनसे |
अपादान कारक |
जो +से-जिससे | जो +से –जिनसे |
सम्प्रदान कारक |
जो +को –जिसको जो +केलिए –जिस केलिए |
जो +को –जिनको जो +के लिए –जिन के लिए |
संबंध कारक |
जो +का –जिसका जो+के –जिसके जो+की –जिसकी |
जो+का –जिनका जो +के- जिनके जो +की- जिनकी |
अधिकरण कारक |
जो+में –जिस में जो +पर- जिस पर |
जो +में-जिनमें जो +पर –जिन पर |
कारक |
एकवचन |
बहुवचन |
कर्ताकारक |
चाचा + ने -चाचा ने |
चाचा +ने -चाचाओं ने |
कर्म कारक |
चाचा +को -चाचा को |
चाचा +को - चाचाओं को |
करण कारक |
चाचा+ से- चाचा से |
चाचा +से - चाचाओं से |
अपादान कारक |
चाचा+ से- चाचा से |
चाचा +से- चाचाओं से |
सम्प्रदान कारक |
चाचा +को - चाचा को चाचा +केलिए - चाचा केलिए |
चाचा +को - चाचाओं को चाचा +के लिए - चाचाओं के लिए |
संबंध कारक |
चाचा +का - चाचा का चाचा +के - चाचा के चाचा +की - चाचा की |
चाचा +का - चाचाओं का चाचा +के- चाचाओं के चाचा +की- चाचाओं की |
अधिकरण कारक |
चाचा +में - चाचा में चाचा +पर- चाचा पर |
चाचा +में- चाचाओं में चाचा +पर - चाचाओं पर |
कारक |
एकवचन |
बहुवचन |
कर्ताकारक |
बालिका + ने - बालिका ने |
बालिकाएँ +ने -बालिकाओं ने
|
कर्म कारक |
बालिका +को - बालिका को |
बालिकाएँ +को - -बालिकाओं
को |
करण कारक |
बालिका + से- बालिका
से |
बालिकाएँ +से - -बालिकाओं से |
अपादान कारक |
बालिका + से- बालिका
से |
बालिकाएँ +से- -बालिकाओं से |
सम्प्रदान कारक |
बालिका +को - बालिका
को बालिका +केलिए -बालिका केलिए |
बालिकाएँ +को - -बालिकाओं को बालिकाएँ +के लिए
--बालिकाओं के लिए |
संबंध कारक |
बालिका +का - बालिका
का बालिका +के - बालिका
के बालिका +की - बालिका
की |
बालिकाएँ +का - -बालिकाओं का बालिकाएँ +के- -बालिकाओं के बालिकाएँ +की- -बालिकाओं की |
अधिकरण कारक |
बालिका +में -
बालिका में बालिका +पर- बालिका
पर |
बालिकाएँ +में- -बालिकाओं में बालिकाएँ +पर - -बालिकाओं पर |
+++++++++++++++++++++++++++++++++++
अध्याय १० काल
क्रिया के जिस रूप से कार्य करने या होने के समय का ज्ञान होता है उसे 'काल' कहते है |
काल के तीन भेद है - भूतकाल ,वर्तमानकाल, और भविष्यत काल
जो समय चल रहा है 👉 वर्तमान काल (present Tense)
जो समय बीत चुका है 👉 भूतकाल(Past Tense)
जो समय आने वाला है👉 भविष्यत काल (Future Tense)-
भूतकाल(Past Tense)
क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का बोध हो ,उसे भूत काल कहते है | भूतकाल के छः रूप है |
(i)सामान्य भूतकाल (Simple Past)- राम ने पुस्तक पढ़ा
(ii) आसन्न भूतकाल (Recent Past) -राम ने पुस्तक पढ़ा है |
(iii)पूर्ण भूतकाल (Complete Past) -राम ने पुस्तक पढ़ा था |
(iv)अपूर्ण भूतकाल (Incomplete Past) -राम पुस्तक पढ़ रहा था |
(v)संदिग्ध भूतकाल (Doubtful Past) -राम ने पुस्तक पढ़ा होगा
(vi)हेतुहेतुमद् भूत (Conditional Past) -
भूतकाल -हिंदी अध्ययन मंडल ऍफ़.एम्
सामान्य भूतकाल -क्रिया के जिस रूप से भूतकाल के किसी विशेष समय का निश्चय नहीं होता ,उसे सामान्य
भूतकाल कहते है|
क्रिया सामान्य भूतकाल क्रिया रूप
चल चला
दौड़ दौड़ा
पी पिया
खा खाया
जा गया
कर किया
हो हुआ
आसन्न भूतकाल -क्रिया के जिस रूप से यह समझा जाये की क्रिया के व्यापार को बीते अधिक समय न हुआ
हो,उसे आसन्न भूतकाल कहते है | सामान्य भूतकाल क्रिया के साथ वर्तमान काल के चिह्न "है" जोड़ कर आसन्न
भूतकाल रूप बनाता है|
सामान्य भूतकाल रूप आसन्न भूतकाल रूप
लडका आया लड़का आया है |
लडके आये लडके आये हैं|
लडकी आयी लडकी आयी है
लडकियाँ आयीं लडकियाँ आयी हैं
चला चला है ,चले हैं,चली है,चली हैं
गया गया है,गए है,गयी है,गयी हैं
पूर्ण भूतकाल
क्रिया के जिस रूप से यह मालूम हो कि उसके व्यापार को समाप्त हुए बहुत समय बीता चुका है,पूर्ण भूतकाल
कहलाता है |
सामान्य भूतकाल पूर्ण भूतकाल
लडका आया लड़का आया था |
लडके आये लडके आये थे |
लडकी आयी लडकी आयी थी
लडकियाँ आयीं लडकियाँ आयी थीं
चला चला था .चले थे,चली थी ,चली थीं
गया गया था ,गये थे ,गयी थी ,गयी थीं
अपूर्ण भूतकाल
क्रिया के जिस रूप से यह माना जाय कि क्रिया भूतकाल में हो रही थी,मगर उसकी
समाप्ति का पता न लगे ,उसे अपूर्ण भूतकाल कहलाता है | सामान्य भूत काल रूप के
साथ ता था /ते थे /ती थी /ती थीं जोड़ने
से अपूर्ण भूतकाल रूप बनता है |
सामान्य भूतकाल अपूर्ण भूतकाल
लडका आया
लड़का आ रहा था / आता था |
लडके आये
लडके आ रहे थे /आते थे
लडकी आयी
लडकी आ रही थी /आती थी
लडकियाँ आयीं
लडकियाँ
आ रही थीं /आती थीं
चला
चलता था .चलते थे,चलती थी ,चलती थीं
चल रहा था .चल रहे थे,चल रही थी ,चल रही थीं
जाना जाता था ,जाते थे ,जाती थी ,जाती थीं
जा रहा था,जा रहे थे,जा रही थी ,जा रही थीं
संदिग्ध भूतकाल
क्रिया के जिस रूप से भूतकाल तो पाया जाय किन्तु उसके
होने में कुछ संदेह हो,संदिग्ध भूतकाल कहते है| सामान्य भूतकाल की क्रिया के साथ होगा,होंगे,होगी ,होंगी जुड़ने से सदिग्ध भूतकाल रूप बनते है |
लडका आया
लड़का आया होगा
लडके आये
लडके आये होंगे
लडकी आयी
लडकी आयी होगी
लडकियाँ आयीं
लडकियाँ
आयी होंगी
चला चला होगा,चले होगे,चली होगी,चली होंगी
गया होगा,गये होगे,गयी होगी.गयी होंगी
हेतु हेतुमद भूतकाल
क्रिया के जिस रूप से यह पाया जाय कि कार्य का भूतकाल में होना संभव था
,मगर किसी कारणवश नहीं हो सका,हेतु हेतुमद भूतकाल कहते है |
अगर वह आता तो मैं जाता
'ने' का नियम
1. कर्तृवाच्य में यदि कोई सकर्मक क्रिया भूतकाल के सामान्य,आसन्न,पूर्ण अपूर्ण भूतकाल रूपों में
आता है तो कर्ता के साथ 'ने' प्रत्यय लगता है।
राम ने आम खाया
2.'ने' प्रत्यय लगते समय क्रिया कर्ता के लिंग वचन के अनुसार न बदलकर कर्म के लिंग ,वचन के अनुसार बदलता है |
राम ने पुस्तक पढ़ी , सीता ने कपड़े खरीदे
3.वाक्य में कर्म के न रहने पर क्रिया हमेशा पुल्लिंग एक वचन होता है |
सीता ने खाया |
लडकों ने गाया
शंकर ने खेला
4.वाक्य में कर्ता के साथ 'ने' प्रत्यय और कर्म के साथ 'को प्रत्यय लगने पर क्रिया हमेशा पुल्लिंग एक
वचन होता है |
माँ ने बच्चों को खिलाया|
लडके ने बिल्ली को मारा |
5. बोलना, भूलना ,लाना , क्रियाओं के प्रयोग करते वक्त कर्ता के साथ 'ने' प्रत्यय नहीं लगाता
हम सभा में बोले |
राम आम लाया |
मैं भूल गया
6.सक,चुक,लग क्रियाओं के प्रयोग करते वक्त कर्ता के साथ 'ने' प्रत्यय नहीं लगाता
लडके क्रिकेट खेलने लगे |
ललिता पाठ लिख चुकी |
अध्याय 11 वर्तमान काल
वर्तमान काल (present Tense)
वर्तमान काल के तीन भेद है-
(i)सामान्य वर्तमानकाल
(ii)अपूर्ण वर्तमानकाल|
(III)संदिग्ध वर्तमानकाल
सामान्य वर्तमानकाल
क्रिया का वह रूप जिससे सामान्य रूप से क्रिया का वर्तमान काल में होना पाया जाय ,सामान्य वर्तमान काल
कहते है |धातु के साथ पुरुष,लिंग और वचन के अनुसार ‘ता हूँ’‘,’ती हूँ’,’ते हो’,ती हो’,’ता है’,’ते है’,’ती है’
आदि जुड़ने से सामान्य वर्तमान काल रूप बनता है |
मैं (पुल्लिंग ) |
जा |
ता हूँ |
मैं (स्त्री लिंग ) |
जा |
ती हूँ |
तुम (पुल्लिंग ) |
जा |
ते हो |
तुम (स्त्री लिंग ) |
जा |
ती हो |
वह (पुल्लिंग ) |
जा |
ता है |
वह (स्त्री लिंग ) |
जा |
ती है |
वे (पुल्लिंग ) |
जा |
ते हैं |
वे (स्त्री लिंग ) |
जा |
ती हैं |
लड़का |
जा |
ता है |
लडके |
जा |
ते हैं |
लडकी |
जा |
ती है |
लडकियाँ |
जा |
ती हैं |
अपूर्ण वर्तमानकाल|
क्रिया
का वह रूप जिससे यह मालूम हो कि क्रिया अभी जारी है अपूर्ण वर्तमान काल कहते है | धातु के साथ पुरुष,लिंग और वचन के अनुसार ‘रहा हूँ’‘,’रही हूँ’,’रहे हो’,रही हो’,’रहा है’,’रहे है’,’रही है’
आदि
जुड़ने से अपूर्ण वर्तमान काल रूप बनता है |
मैं (पुल्लिंग ) | जा | रहा हूँ |
मैं (स्त्री लिंग ) | जा | रही हूँ |
तुम (पुल्लिंग ) | जा | रहे हो |
तुम (स्त्री लिंग ) | जा | रही हो |
वह (पुल्लिंग ) | जा | रहा है |
वह (स्त्री लिंग ) | जा | रही है |
वे (पुल्लिंग ) | जा | रहे हैं |
वे (स्त्री लिंग ) | जा | रही हैं |
लड़का | जा | रहा है |
लडके | जा | रहे हैं |
लडकी लडकियाँ | जा जा | रही है रही हैं |
संदिग्ध वर्तमान काल
क्रिया का वह रूप जिससे वर्तमान काल की क्रिया के होने में संदेह पाया जाय संदिग्ध
वर्तमान काल कहते है | धातु के साथ पुरुष,लिंग और वचन के अनुसार ‘ता हूँगा ’‘,’ती
हूँगी ’,’ता होगा,ती होगी ’,ता होगा ’,’ते होंगे ’,’ती होगी ’ ,ती होंगी आदि जुड़ने से
संदिग्ध वर्तमान काल बनता है |
मैं (पुल्लिंग ) | जा | ता हूँगा |
मैं (स्त्री लिंग ) | जा | ती हूँगी |
तुम (पुल्लिंग ) | जा | ता होगा |
तुम (स्त्री लिंग ) | जा | ती होगी |
वह (पुल्लिंग ) | जा | ता होगा |
वह (स्त्री लिंग ) | जा | ती होगी |
वे (पुल्लिंग ) | जा | ते होंगे |
वे (स्त्री लिंग ) | जा | ती होंगी |
लड़का | जा | ता होगा |
लडके | जा | ते होंगे |
लडकी लडकियाँ | जा जा | ती होगी ती होंगी |
सामान्य वर्तमान काल |
तात्कालिक/अपुर्ण वर्तमान |
संदिग्ध वर्तमान काल |
राम चलता है |
राम चल रहा है
|
राम चलता होगा |
सीता चलती है |
सीता चल रही है |
सीता चलती होगी |
वह चलता है |
वह चल रहा है |
वह चलता होगा
|
वे चलते हैं |
वे चल रहे हैं |
वे चलते होंगे |
वर्तमानकाल -हिंदी अध्ययन मंडल ऍफ़.एम्
==============================================
अध्याय 12 भविष्यत काल (Future Tense)
(ii) सम्भाव्य भविष्यत काल
सामान्य भविष्यत काल
क्रिया का वह रूप जिससे सामान्य रीति से क्रिया के आगे होने की सूचना मिले ,सामान्य भूतकाल कहते है |धातु के साथ पुरुष,लिंग और वचन के अनुसार ऊँगा,ऊँगी,एगा.एगी आदि जुड़ने से सामान्य भविष्यत कालीन रूप बनता है |
मैं (पुल्लिंग ) | जा | ऊँगा |
मैं (स्त्री लिंग ) | जा | ऊँगी |
तुम (पुल्लिंग ) | जा | ओगे |
तुम (स्त्री लिंग ) | जा | ओगी |
वह (पुल्लिंग ) | जा | एगा |
वह (स्त्री लिंग ) | जा | एगी |
वे (पुल्लिंग ) | जा | येंगे |
वे (स्त्री लिंग ) | जा | येंगे |
लड़का | जा | एगा |
लडके | जा | एंगे |
लडकी | जा | एगी |
लडकियाँ | जा | येंगी |
संभाव्य भविष्यत काल
मैं (पुल्लिंग ) | जा | ऊँ |
मैं (स्त्री लिंग ) | जा | ऊँ |
तुम (पुल्लिंग ) | जा | ओ |
तुम (स्त्री लिंग ) | जा | ओ |
वह (पुल्लिंग ) | जा | ए |
वह (स्त्री लिंग ) | जा | ए |
वे (पुल्लिंग ) | जा | यें |
वे (स्त्री लिंग ) | जा | यें |
लड़का | जा | ए |
लडके | जा | एं |
लडकी | जा | ए |
लडकियाँ | जा | यें |
भविष्यत काल HAM FM
**************
अध्याय 12 वाच्य
क्रिया के जिस रूपान्तर से यह ज्ञात हो कि वाक्य में क्रिया द्वारा किए गए विधान का मुख्य विषय कर्ता, कर्म अथवा भाव है, उसे वाच्य कहते हैं
वाच्य के भेद
(1) कर्तृवाच्य (Active Voice) - क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।
जैसे - राम केला खाता है।
(2) कर्मवाच्य (Passive Voice)-क्रिया के जिस रूप में कर्म प्रधान हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं |
जैसे राम से केला खाया जाता है |
(3) भाववाच्य (Impersonal Voice)-क्रिया के जिस रूप में न तो कर्ता की प्रधानता हो न कर्म की, बल्कि क्रिया का
भाव ही प्रधान हो, वहाँ भाववाच्य होता है।
राम से केला खाया नहीं जाता |
कर्तृवाच्य कर्मवाच्य
(1) गोपाल पत्र लिखता है। गोपाल से पत्र लिखा जाता है।
(2) मैं अख़बार नहीं पढ़ सकता। मुझसे अख़बार पढ़ा नहीं जाता।
(3) मैं नहीं बैठता| मुझसे बैठा नहीं जाता |
कर्तृवाच्य की क्रिया को सामन्य भुत काल के रूप में ला कर उसके साथ काल,पुरुष,लिंग और वचन के अनुसार 'जाना'क्रिया के रूप जोड़ने से वाच्य बदल पायेंगे|
***************************************************
अध्याय 13
क्रियाविशेषण
1. क्रियाविशेषण -जो अविकारी शब्द क्रिया की कोई विशेषता प्रकट करें,उसे क्रियाविशेषण कहते है |
तुम यहाँ आओ |सीता,धीरे चलो | 'यहाँ','धीरे'शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करता है |
अर्थ के अनुसार क्रिया विशेषण चार प्रकार के है
1 .कालवाचक क्रिया विशेषण –जिन क्रिया विशेषण से किर्या के काल का बोध
होता है
जैसे - अब,जब,कब,आज
2.स्थानवाचक
क्रियाविशेष्ण –जिन क्रिया विशेषण से किर्या के स्थान का बोध होता है
जैसे – कहाँ,वहाँ,जहाँ,पास,सर्वत्र
3.परिमाणवाचक क्रिया विशेषण -–जिन क्रिया विशेषण से किर्या के परिमाण का बोध होता है
जैसे – थोडा,बहुत,कम
4.रीतिवाचक क्रिया विशेषण - जिन क्रिया विशेषण से किर्या की रीति का बोध होता
है
जैसे – ऐसे,जैसे,कैसे ,धीरे,एकाएक
अध्याय 14 संबंध बोधक
.संबंध बोधक - जो अविकारी शब्द संज्ञा और सर्वनाम के साथ प्रयुक्त हो करउनका संबंध प्रकट करता है संबंध
बोधक कहते है |
स्कूल के सामने मैदान है| घर के पास मस्जिद है |यहाँ 'के सामने'और'के पास 'सम्बन्ध बोधक है |
प्रयोग के अनुसार संबन्धबोधक अव्ययों
के दो भेद है
👉 संबद्ध संबन्धबोधक
👉 अनुबद्ध संबन्धबोधक
संबद्ध संबन्धबोधक –जो संबंध बोधक अव्यय विभक्तियों के आगे प्रयुक्त होते है
जैसे राम के पास रुपया
है |
इस के सिवा क्या चाहिए ?
अनुबद्ध संबन्धबोधक –जो संबंध बोधक अव्यय संज्ञा के बाद विभक्ति रहित रूप
में प्रयुक्त
होता है
जैसे - बच्चों सहित ,तार द्वारा खबर दें
अध्याय 15 समुच्चय बोधक
समुच्चय बोधक - जो अव्यय शब्दों ,वाक्यों अथवा वाक्य्खंडों को परस्पर मिलाते है समुच्चय बोधक कहते है|
'और','यदि',अगर,'अथवा',क्योंकि ''इसलिए'आदि समुच्चय बोधकहै |
समुच्चय बोधक दो प्रकार का है
👉 समानाधिकरण समुच्चय बोधक
👉 व्यधिकरण समुच्चयबोधक
1.समानाधिकरण समुच्चय बोधक – जो समुच्चयबोधक समान स्थितिवाले दो वाक्यों या वाक्य खंडो को जोड़ता है
राम और कृष्ण| अगर वह आता तो मैं जाता |
व्यधिकरण समुच्चयबोधक –जो समुच्चयबोधक आश्रित उप वाक्य को मुख्य उप
वाक्य के साथ जोड़ता है
बच्चा रोता है | वह बीमार
है ##### बच्चा रोता है क्योंकि वह
बीमार है
मैं बीमार था | अस्पताल
गया ##### मैं बीमार था इसलिए अस्पताल गया
विस्मयादिबोधक-वक्ता के विस्मय,दुःख आदि मनोभाव प्रकट करने के लिए प्रयुक्त अव्यय है ,विस्मयादिबोधक
अव्यय|
वाह!कितना सुंदर फूल |
राम -राम !यह तुम क्या कह रहे हो ?
💻 अविकारी शब्द वीडियो क्लास
💻 अव्यय वीडियो क्लास
====================================
अध्याय 16 उपसर्ग और प्रत्यय
उपसर्ग -जो शब्दांश किसी शब्द के आदि में जुड़ कर उसके अर्थ में विशेषता उत्पन्न कर देते है या उसके अर्थ को सर्वथा ही बदल देते है,उन्हें उपसर्ग कहते है |
अति+अधिक -अत्यधिक
उत+कृष्ट- उत्कृष्ट
सु+कन्या - सुकन्या
अ+चेत -अचेत
नि+ डर - निडर
आ+हार -आहार
प्रत्यय -जो शब्दांश किसी शब्द के अंत में जुड़ कर उसके अर्थ और स्वरुप को सर्वथा बदल देते है,प्रत्यय कहते है |
चलना + वाला -चलनेवाला
दूध +वाला -दूधवाला
💻उपसर्ग और प्रत्यय वीडियो क्लास
☃☃☃☃☃☃☃☃☃☃☃☃
अध्याय 17 अनुवाद
किसी भाषा में कही या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है। 'अनुवाद'शब्द अनु+वाद से बना है |संस्कृत शब्द 'वद' का अर्थ है 'बोलना'उसके आगे 'अनु'उपसर्ग लगाने से अनुवाद शब्द बनता है|इसका अर्थ होता है 'पुनः कथन'या 'बाद में कहना '|
अनुवाद करने के लिए दो भाषाओं की आवश्यकता है -श्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा |
श्रोत भाषा - जिस भाषा से अनुवाद करना है |
लक्ष्य भाषा - जिस भाषा में अनुवाद करना है
अनुवाद करनेवाले व्यक्ति को अनुवादक कहते है |
अनुवादक के गुण
👉 श्रोत भाषा का सही ज्ञान
👉 लक्ष्य भाषा का सही ज्ञान
👉 विषय का ज्ञान
👉 तटस्थता
अनुवाद के प्रकार
👉 शब्दानुवाद
👉 भावानुवाद
👉 छायानुवाद
👉 सारानुवाद
👉 व्याख्यानुवाद
👉 आशु अनुवाद
👉 रूपांतरण
नीचे दिए वाक्य ध्यान से पढ़ें
1.मैंने पत्र लिखा मैंने चिट्ठी लिखी।
2.मैंने चित्र खरीदा मैंने तस्वीर खरीदी।
3.आज का सबेरा आज की सुबह
4.यह चौड़ा रास्ता है यह चौड़ी सड़क है।
5.गोपाल का नेत्र गोपाल की आँख
6.कष्ट हुआ कठिनाई हुई
7.युद्ध हुआ लड़ाई हुई
8.यह अच्छा समाचार है यह अच्छी ख़बर है
9.मैंंने प्रयत्न किया मैंने कोशिश की
10.यह अच्छा कंकण है यह अच्छी चूड़ी है।
11.मेरा आग्रह मेरी इच्छा
12.अच्छा पड़ाव अच्छी मंजिल
13.यह अच्छा उदाहरण है यह अच्छी मिसाल है
14.पवन बह रहा है हवा बह रही है
15.रोगी का इलाज रोगी की चिकित्सा
16.यह अच्छा ग्रंथ है यह अच्छी किताब/पुस्तक है
17.अच्छा आरंभ अच्छी शुरुआत
18.उसका देहांत हुआ उसकी मृत्यु हुई
19.मोटा शरीर मोटी काया
20.अच्छा विश्वास अच्छी आस्था
21.दर्द हुआ वेदना हुई
22.अच्छा अवसर अच्छी फुरसत
23.अच्छा वस्त्र अच्छी पोशाक
24.यह छोटा पक्षी है यह छोटी चिड़िया है
25.उसका स्वास्थ्य उसकी तंदुरुस्ती
1.मैं जानता/ जानती हूं मुझे मालूम है।
2.तुम जानते/ जानती हो तुमको/ तुम्हें मालूम है।
3.वह जानता/ जानती है उसको/ उसे मालूम है।
4.वे/ये/आप/हम जानते/जानती हैं उनको/उन्हें/इनको/इन्हें/ आपको/हमको/हमें मालूम है।
5.लड़का जानता है लड़के को मालूम है।
6.लड़की जानती है लड़की को मालूम है।
7.लड़के जानते हैं लड़कों को मालूम है।
8.लड़कियां जानती हैं लड़कियों को मालूम है।
9.कौन जानता/जानती है? किसको/किसे मालूम है?
10.कौन जानते/जानती हैं? किनको/किन्हें मालूम है?
व्याकरण समझने के लिए उपयोगी वीडियो